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13 June 2016

गो फॉर आॅर्गन : देशभर में साइ‍किल में घूूम घूूम कर अंगदान की अलख जगाएंगे

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यह जानकारी मथुरा स्थित जीएलए विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र सारांश गोस्वामी ने दी। अलख जगाने वालों में शामिल सारांश ने बताया कि  हम लोग विवि के कुलाधिपति नारायण दास अग्रवाल से मिलने के लिए आए थे। विवि ने इस नेक अभियान के लिए शुभकामनाएं देने के साथ-साथ उनकी आर्थिक मदद भी की। आगरा निवासी सारांश बताते हैं कि उनके समूह में मनोज शर्मा को यह आइडिया आया तो उसने सबसे विमर्श किया, जिस पर सभी सहज ही राजी हो गए। अन्य दो साथियों में सुचित्रा सिंह व विक्रमजीत सिंह रंधावा हैं। उन्होंने बताया कि हम सभी इस बात से काफी चिंतित हैं कि दूसरों के लिए आसानी से जान दे देने वाले देश के वाशिंदे जरूरत पड़ने पर अंगदान करने वाले देशों की सूची में अनेक छोटे देशों से भी बहुत पीेछे हैं। सारांश ने बताया, चारों साथियों में एक एमबीए, दूसरा एमटेक, तीसरा एमकाॅम और चौथा एमएससी

सारांश ने कहा कि सभी 14 जून को आगरा कैण्ट से ट्रेन के माध्यम से कन्याकुमारी के लिए निकलेंगे और वहां से 17 जून को अपनी साइकिल यात्रा प्रारंभ करेंगे। इस बीच प्रतिदिन लगभग 100 किमी की यात्रा कर 50 दिन में 43 शहरों से होकर गुजरेंगे। जिनमें अजमेर, उदयपुर, मनीला, पानीपत, वड़ोदरा, मुंबई, पानीपत, पणजी, कोच्चि व तिरुवनंतपुरम जैसे शहर शामिल हैं। सारांश ने बताया कि इस मिशन के लिए उन सभी ने अपनी नौकरियों से अब तक कमाई गई पूरी धनराशि झाोंक दी है। इस प्रोजेक्ट की टैग लाइन गाॅर्गन जीओआरजीओएन यानि गो फाॅर आॅर्गन रखी गयी है।

उन्होंने बताया कि हम सबने सबसे पहले अपने अंगदान संकल्प पत्र भरकर इस अभियान की शुरुआत की है। अब देखते हैं कि अभियान के दौरान देश के और कितने लोग हमारे विचार से जुड़ पाते हैं। उन्होंने अपने अभियान की जरूरत और उसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, यह बहुत दुखद है कि लोग जरूरत पड़ने पर दूसरों को तो क्या, अपनाें को भी अंगदान करने से इंकार कर देते हैंं। इसीलिए देश में गैरकानूनी अंग व्यापार बड़े पैमाने पर पनप रहा है। इसी के चलते हमने साइकिल यात्रा के माध्यम से इस दिशा में जागरूकता लाने का संकल्प लिया है।

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युवाओं ने कहा कि अफसोस की बात है कि इस अभियान के लिए जिस प्रकार का सहयोग उन्हें चिकित्सकों से मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल पाया। हालांकि, वे इसके लिए अखिल भारतीय आयुर्विग्यान संस्थान एम्‍स दिल्ली भी गए। परंतु, खुशी है कि अभिभावकों ने उनके इस मिशन को बहुत ही संजीदगी से लिया और पूर्ण सफलता की कामना की।

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OUTLOOK 13 June, 2016
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