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06 December 2015

जेएनयू में यौन उत्पीड़न की झूठी शिकायत पर दंड का प्रावधान

गूगल

यौन उत्पीड़न के विरूद्ध नई नितियों और प्रावधानों का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था। समिति ने इस वर्ष सितंबर में उच्चतम न्यायालय के वर्ष 2013 के दिशा-निर्देशों के अनुसार संशोधित नियमों और प्रकियाओं का मसौदा कुलपति एसके सोपोरी को भेजा था जिसे विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने मंजूरी दे दी है। नीति में जो सबसे अहम संशोधन किया गया है उसमें इस बात का प्रावधान किया गया है कि शिकायतकर्ता और प्रत्यक्षदर्शी को बाद में पीड़ित न होना पड़े। इसके अलावा झूठी शिकायत की स्थिति में दंड का प्रावधान भी शामिल किया गया है। नई नीति में कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न और शैक्षणिक स्थलों पर यौन उत्पीड़न के लिए विभिन्न धाराएं हैं। इसके अलावा शिकायतकर्ता अगर विश्वविद्यालय के जेंडर सेंसिटाइजेशन कमिटी अगेंस्ट सेक्सुअल हरैसमेंट (जीएससीएएसएच) के फैसले से असंतुष्ट है तो उस स्थिति में फिर से अपील करने के लिए भी विभिन्न प्रावधान किए गए हैं।

 

गौरतलब है कि दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली विश्वविद्यालय को छोड़कर वर्ष 2013 तक राष्ट्रीय राजधानी के विभिन्न विश्वविद्यालयों की ओर से यौन उत्पीड़न के 101 मामलों की सूचना दी गई। इनमें करीब 50 प्रतिशत मामले जेएनयू से जुड़े थे। डीयू ने इस तरह के मामलों की सूची नहीं दी है। बता दें कि जेएनयू में इस तरह के मामलों को देखने के लिए एक अलग जेंडर सेंसिटाइजेशन कमिटी अगेंस्ट सेक्सुअल हरैसमेंट (जीएससीएएसएच) कार्यरत है।

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TAGS: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, जेएनयू, यौन उत्पीड़न, झुठी शिकायत, संस्थान, उच्चतम न्यायालय, मसौदा, कुलपति, एसके सोपोरी, कार्यकारी परिषद, जेंडर सेंसिटाइजेशन कमिटी अगेंस्ट सेक्सुअल हरैसमेंट, दिल्ली महिला आयोग, डीसीडब्ल्यू, दिल्ली विश्वविद्यालय
OUTLOOK 06 December, 2015
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