स्थापना के 90 साल बाद अपनी छवि में बदलाव चाहता है संघ
आरएसएस द्वारा यह निर्णय सु्प्रीम कोर्ट के उस निर्णय के बाद आया है जिसमें अदालत ने राहुल गांधी को गांधी जी की हत्या के लिए संघ को जिम्मेदार ठहराने पर माफी मांगने या मुकदमे का सामना करने के लिए कहा। अपनी छवि में बदलाव के प्रयास के तहत आरएसएस किताबों और अन्य सामग्रियों का प्रकाशन करेगी जिसमें संघ को लेकर उठाए जाने वाले सभी विवादित प्रश्नों का जवाब होगा। इन प्रश्नों में, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आरएसएस की क्या भूमिका थी, आरएसएस पर प्रतिबंध क्यों लगाया गया और बाद में उसे क्यों हटा लिया गया, क्यों आरएसएस पर महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल रहने के आरोप लगाए जाते हैं। किताबों में इन सभी सवालों के जवाब विस्तार से देकर कैडर में संघ की बेहतर छवि स्थापित करने की कोशिश की जाएगी। हालांकि संघ के इतिहास के बारे में कई किताबें उपलब्ध हैं पर संघ चाहता है कि उसके खिलाफ फैलाए जाने वाले प्रोपेगैंडा की काट के लिए कैडर तथ्यों से पूरी तरह लैस हों। इसके लिए संघ इंटरनेट और ई-बुक्स के जरिये लोगों के बीच अपनी ज्यादा से ज्यादा पहुंच बनाने की कोशिश करेगा।
संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि संगठन के खिलाफ चलाए जाने वाले झूठे अभियान को चुनौती देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। संघ के एक पदाधिकारी के अनुसार महात्मा गांधी की हत्या की साजिश की जांच करने वाले जीवन लाल कपूर आयोग की 1969 में आई रिपोर्ट पर एक किताब संघ कैडरों में वितरित की जा रही है। उस रिपोर्ट के आधार पर संघ के कैडर वैसे किसी भी व्यक्ति का प्रत्यूत्तर देने में सक्षम होंगे जो गांधी जी की हत्या में संघ के शामिल होने का आरोप लगाता है। इसी प्रकार आने वाले स्वतंत्रता दिवस से पहले संघ कैडर को स्वतंत्रता संग्राम में आरएसएस की भूमिका पर उठाए जाने वाले सवालों का जवाब देने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। संघ के आंतरिक समाचार एजेंसी, विश्व संवाद केंद्र के सभी 39 राज्य ईकाइयों को आरएसएस के इतिहास और उसके वरिष्ठ नेताओं के बारे में विभिन्न माध्यमों में जानकारी प्रकाशित करने के लिए कहा गया है।