लखनऊ में प्रदर्शनकारियों के होर्डिंग लगाने पर हाई कोर्ट को आपत्ति, जल्द हटने की उम्मीद जताई
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीएए विरोधियों की तस्वीरों वाले होर्डिंग लखनऊ में लगाए जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है और उम्मीद की है कि ये होर्डिंग हटा लिए जाएंगे। हालांकि राज्य सरकार ने इस कदम को प्रतिरोधक बताते हुए कहा कि अदालत को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए।
हाई कोर्ट ने सात मार्च को इस मामले में स्वतः संज्ञान लिया था और लखनऊ के जिलाधिकारी और मंडल आयुक्त से पूछा था कि किस कानून के तहत ये होर्डिंग लगाए गए। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और रमेश सिन्हा की पीठ ने इसे बेहद अन्यायपूर्ण और लोगों की निजता का हनन बताया।
कोर्ट का सवाल- क्या निजता का हनन नहीं
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने इस मामले में आज सुबह स्वतः संज्ञान दिया। इसके बाद उन्होंने सुनवाई सोमवार दोपहर तक के लिए टाल दी। उन्होंने उम्मीद जताई कि सोमवार की दोपहर में सुनवाई शुरू होने से आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने सवाल किया कि क्या राज्य सरकार ने नागरिकों की निजता और स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया है।
प्रशासनिक अधिकारी तलब
अदालत ने रविवार को अवकाश का दिन होने के बावजूद सुनवाई करने का फैसला किया है। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर की अदालत ने इस मामले में लखनऊ के जिला मजिस्ट्रेट और मंडल पुलिस आयुक्त को तलब किया है।
होर्डिंग में संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों की तस्वीर
आरोपियों के पते और तस्वीरों वाले होर्डिंग लखनऊ में प्रमुख चौराहों पर लगाए गए हैं। इन आरोपियों से लखनऊ में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए मुआवजा भरने को कहा गया है। लखनऊ के प्रदर्शन में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी।
होर्डिंग्स में कहा गया है कि अगर आरोपी मुआवजा भरने में नाकाम रहते हैं तो उनकी संपत्तियां जब्त कर ली जाएंगी। सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में होर्डिंग्स लगाने को न्यायोचित ठहराने वाला दो पेज का बिना हस्ताक्षर वाला एक नोट भेजा गया था। ये होर्डिंग जनहित को ध्यान में रखकर सभी नियमों का पालन करते हुए लगाए गए हैं।
गुरुवार को जिला प्रशासन ने शहर भर में प्रमुख क्रॉसिंग पर 53 सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों के फोटो और पते के साथ होर्डिंग्स लगाए। होर्डिंग्स में शिया धर्मगुरु मौलाना सैफ अब्बास, दारापुरी और कांग्रेस नेता सदफ जाफर की तस्वीरें शामिल हैं, इनमें से सभी को पिछले साल 19 दिसंबर को राज्य की राजधानी में हुई हिंसा में आरोपी बनाया गया था।
होर्डिंग्स से भय का माहौल
पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी ने प्रशासन की कार्रवाई को 'असंवैधानिक' करार दिया और कहा कि सरकार प्रदर्शनकारियों को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। एक्टिविस्ट दीपक कबीर ने कहा है कि सरकार द्वारा सीएए-विरोधी प्रदर्शनकारियों के नाम वाले होर्डिंग्स से डर का माहौल पैदा हो रहा है। उन्होंने कहा कि पोस्टर में जिन लोगों के नाम का उल्लेख किया गया है, उन्हें कहीं भी लिंच किया जा सकता है।दिल्ली हिंसा के बाद माहौल सुरक्षित नहीं है। सरकार सभी को खतरे में डाल रही है।
क्या बोले योगी सरकार के मंत्री
उत्तर प्रदेश के मंत्री मोहसिन रजा ने आरोप लगाया कि जिन लोगों के नाम होर्डिंग्स में डाले गए हैं उन्होंने सार्वजनिक संपत्तियों को नष्ट किया है। हालांकि उन्होंने कहा, " उन लोगों की तस्वीरें को हटा दी गई हैं जिन्होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम की आड़ में अशांति पैदा करने की कोशिश की। उन्होंने राज्य के लोगों को नुकसान पहुंचाया और सार्वजनिक संपत्तियों को नष्ट करने की कोशिश की। अब उनसे नुकसान की भरपाई करवाई जाएगी।"