पुलिस कार्रवाई पर योगी सरकार को हाई कोर्ट का नोटिस, सीएए हिंसा में हुई थी 20 लोगों की मौत
पिछले साल दिसंबर महीने में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से 17 फरवरी तक रिपोर्ट जमा करने को कहा है। चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की पीठ ने आंदोलन के दौरान कथित पुलिस ज्यादती के खिलाफ दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।
याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील महमूद प्राचा के मुताबिक कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि क्या विरोध प्रदर्शन के दौरान मरने वालों की ऑटोप्सी रिपोर्ट उनके रिश्तेदारों को दी गई है।
कोर्ट ने पूछे कई सवाल
कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि वह उल्लेख करे की सीएए के विरोध और पुलिस के खिलाफ दर्ज शिकायतों के दौरान कितने लोग मारे गए। साथ ही कोर्ट ने यह भी पूछा कि इस मामले में मीडिया रिपोर्ट्स की सत्यता की जांच की गई है अथवा नहीं। गौरतलब है कि यूपी में 20 दिसंबर को हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस गोलीबारी में लगभग कथित रूप से 20 लोग मारे गए थे।
‘यूपी में आतंक का शासन’
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर नकेल कसने के लिए यूपी में ‘आतंक का शासन’ चलाया जा रहा था। साथ ही इन कार्यकर्ताओं द्वारा राज्य में पुलिस कार्रवाई और हत्याओं के बारे में सच्चाई का पता लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने की मांग की गई। वहीं, यूपी पुलिस ने किसी भी तरह की ज्यादती से इनकार किया है।
योगी की प्रदर्शनकारियों को चेतावनी
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई करने की चेतावनी देते हुए कहा था और आदेश दिया था कि विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार पाए जाने वालों को से इसकी भरपाई होगी। उन्हें इसकी रकम चुकानी होगी। हिंसक प्रदर्शन और तोड़-फोड़ के मामले में यूपी पुलिस ने एक हजार से अधिक लोगों पर केस दर्ज किया था।