जेईई मेन्स और नीट परीक्षा के आयोजन पर जारी विवाद के बीच 8 लाख छात्रों डाउनलोड किए एडमिट कार्ड
सरकार ने जेईई-मेन्स और नीट छात्रों को कोरोना महामारी के बीच परीक्षा के आयोजन को लेकर आश्वासन दिया है कि उन्हें "सुरक्षित वातावरण" उपलब्ध कराया जाएगा। इसके बावजूद भी अगले महीने होने वाली दोनों प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के फैसले को लेकर वाम समर्थित अखिल भारतीय छात्र संघ (एआईएसए) ने बुधवार को विरोध जारी रखा। संघ का कहना है कि जब तक परीक्षाएं रद्द या स्थगित नहीं हो जातीं, हार नहीं मानेंगे। इन सब विवादों के बीच, हालांकि, छात्रों ने प्रवेश परीक्षा देने के लिए अपना-अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड करना जारी रखा। एनटीए ने कहा है कि छात्र परीक्षा देने के लिए तैयार हैं। एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा कि 12 बजे साइट खुलने के कुछ ही घंटों के भीतर 5 लाख से अधिक नीट उम्मीदवारों ने अपने एडमिट कार्ड डाउनलोड कर लिए।
जेईई-मेन्स के लिए 8.58 लाख छात्रों ने पंजीकरण कराया है, जबकि नीट के लिए पंजीकरण कराने वाले छात्रों की संख्या 15.97 लाख है। लगभग 8 लाख छात्रों ने जेईई-मेन्स के उम्मीदवारों ने मंगलवार शाम 5 बजे तक अपना एडमिट कार्ड डाउनलोड कर लिया था।
संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई-मेन्स), नेशनल एलिजिबिलिटी-कम-एंट्रेंस टेस्ट (नीट) और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) कांग्रेस की छात्र इकाई, ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है। एनएसयूआई अध्यक्ष नीरज कुंदन छात्रों के संगठन के अन्य सदस्यों के साथ भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं।
इससे पहले बुधवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्यों के जीएसटी मुआवजे समेत नीट और जेईई परीक्षा के आयोजन को लेकर कांग्रेस शासित राज्यों सहित तीन अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक बुलाई की, जिसमें ममता बनर्जी ने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट जाना चाहिए। मुख्यमंत्रियों की इस वर्चुअल बैठक में ममता बनर्जी ने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट चलते हैं। इस मुद्दे पर बात करते हैं। यह छात्रों के लिए मानसिक प्रताड़ना है। मैंने किसी लोकतांत्रिक देश में इतनी उद्दंडता नहीं देखी है। स्थिति बहुत गंभीर है। हमें बच्चों के लिए आवाज उठानी ही होगी।'
उन्होंने कहा कि लाखों की संख्या में छात्र हैं और लॉकडाउन के चलते ट्रांसपोर्ट तक की सुविधा नहीं है। ममता बनर्जी ने बताया कि मैंने परीक्षाओं को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई पत्र लिखे हैं और कहा है कि जब छात्र परेशान हैं तो ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील कर रिव्यू की मांग कर सकती है।
वहीं, शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक का कहना है कि छात्रों और अभिभावकों द्वारा लगातार बनाए जा रहे दबाव और मांग के बाद परीक्षा का आयोजन किया जा रहा है।