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16 February 2015

अण्णा हो सकते हैं केजरीवाल के लिए संकट

संजय रावत

 जंतर-मंतर पर आयोजित होने वाले इस धरने में कई सामाजिक संगठनों, किसान संगठनों के साथ-साथ आम केजरीवाल को भी आमंत्रित किया गया है। 14 फरवरी को दिल्ली के दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने वाले केजरीवाल अण्णा के साथ जनलोकपाल बिल पारित करवाने के धरने पर बैठे थे। इस बार अण्णा भूमि अधिग्रहण कानून, काला धन वापस लाने जैसे मुद्दे को लेकर धरने पर बैठ रहे हैं मेधा पाटकर सहित कई समाजसेवी इस धरने में शिरकत करेंगे।

अण्णा के इस कदम को कई संगठनों का सहयोग तो मिल रहा है लेकिन मुश्किल केजरीवाल के सामने है। केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं और अगर वह धरने में शामिल होते हैं तो फिर उन्हें धरने वाला मुख्यमंत्री कहा जाने लगेगा और अगर नहीं होते हैं तो अण्णा के समर्थक यह कहने लगेंगे कि केजरीवाल बदल गए। केजरीवाल धरने में शामिल होंगे या नहीं अभी तय नहीं है। बताया जा रहा है कि अण्णा के धरने में शामिल होने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान के किसान संगठन सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में अण्णा के धरने में लोगों के भीड़ जुटने की उम्मीद है। लेकिन आम आदमी पार्टी का क्या रुख होगा अभी तय नहीं है। क्योंकि अण्णा ने जब रालेगण सिद्धि में अनशन किया था तो आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय को निकाल दिया गया था वहीं कुमार विश्वास के खिलाफ भी नारे लगे थे। अब देखना यह है कि दिल्ली में अण्णा के धरने में कौन-कौन से संगठन शामिल होते हैं।  

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TAGS: अण्‍णा हजारे, अरविन्द केजरीवाल, धरना, संसद सत्र, केंद्र सरकार
OUTLOOK 16 February, 2015
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