अन्ना करेंगे 1100 किमी की पदयात्रा
12 मार्च 1930 में अहमदाबाद के साबरमती से एक यात्रा शुरू हुई थी। नमक कानून तोड़ने के लिए एक महात्मा 24 दिनों तक 390 किलोमीटर चल कर गुजरात के नवसारी के छोटे से गांव दांडी पहुंचे थे। इतने सालों बाद एक और सामाजिक कार्यकर्ता जिसमें जनता दूसरे महात्मा गांधी की छवि देखती है ने भी ऐसे ही एक पदयात्रा की घोषणा की है।
दिल्ली में पहले लोकपाल बिल के लिए अनशन कर चुके अण्णा हजारे ने अब भूमि अधिग्रहण कानून के किसान विरोधी प्रावधानों के खिलाफ केंद्र सरकार पर दबाव डालने के लिए 1100 किलोमीटर की पदयात्रा करने की घोषणा की है।
वर्धा के गांधी आश्रम में अण्णा हजारे ने बयान जारी कर कहा कि यह यात्रा वर्धा के गांधी आश्रम से शुरू होगी जो नई दिल्ली के रामलीला मैदान पर समाप्त होगी। महात्मा गांधी की एतिहासिक दांडी मार्च की तर्ज होने वाली इस पदयात्रात्रा के दिल्ली तीन महीने में पहुंचने का अनुमान है। अण्णा हजारे ने कहा कि इस यात्रा का कार्यक्रम नौ मार्च, 2015 को सेवाग्राम में एक बैठक में तय किया जाएगा।
पिछले महीने हजारे ने संसद के बजट सत्र के दौरान दिल्ली में जंतर मंतर पर भ्रष्टाचार विरोधी जनांदोलन न्यास के बैनर तले दो दिवसीय प्रदर्शन किया था। कई किसान संगठनों ने उनके आंदोलन का समर्थन किया था।
पिछले महीने के प्रदर्शन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया पर नाखुशी प्रकट करते हुए हजारे ने कहा, ‘विभिन्न राज्यों के किसान संगठनों ने 23-25 फरवरी को प्रदर्शन किया था जिसके बाद केंद्र सरकार को किसानों से वादा करना पड़ा था कि यदि जमीन अधिग्रहण अध्यादेश से किसानों से नाइंसाफी हो रही है तो वह उसे बदलने को तैयार हैं। अब मोदी सरकार एक नया विधेयक लाई है। इस मसविदा विधेयक पर नजर डालने से पता चलता है कि अध्यादेश और विधेयक में कोई अंतर नहीं है। नया विधेयक हमें भ्रम में डालने की बस चाल था।’
हजारे ने कहा कि पदयात्रा शुरू करने का निर्णय सरकार पर दबाव डालने के लिए किसान नेताओं और संगठनों से बातचीत के बाद लिया गया। उन्होंने कहा, ‘हम देशभर में किसानों से स्थानीय स्तर पर गिरफ्तारी देने की भी अपील करेंगे।’