जम्मू कश्मीर प्रशासन को प्रतिबंधों पर हर सवाल का जवाब देना होगाः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर प्रशासन से कहा है कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 हटाने और राज्य का विभाजन किए जाने के बाद लगाई गई पाबंदियों पर उठने वाले हर सवाल का उसे जवाब देना होगा।
प्रशासन का शपथ पत्र पर्याप्त नहीं
जस्टिस एन. वी. रमन की अगुआई वाली बेंच ने जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से पेश हुए सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता को बताया कि प्रतिबंधों को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं ने विस्तार से तर्क दिए हैं। उन्हें हर प्रश्न का उत्तर देना होगा। अदालत ने कहा कि पेश किए गए शपथ पत्र से उसे कोई निष्कर्ष पर पहुंचने में कोई मदद नहीं मिली है। इस तरह का विचार मत दीजिए जिससे लगे कि आप केस पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रहे हैं।
दलीलों के समय प्रशासन देना स्टेटस रिपोर्ट
मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रतिबंधों के बारे में दिए गए अधिकांश तर्क गलत हैं। जब कोर्ट में वह दलील देंगे, उस समय वह हर पहलू पर जवाब देंगे। सोलिसिटर जनरल ने कहा कि उनके पास स्टेटस रिपोर्ट है लेकिन उन्होंने यह अदालत में दाखिल नहीं की है क्योंकि राज्य में स्थिति रोजाना बदल रही है। जब वह दलीलें देंगे, तब सटीक स्टेटस रिपोर्ट प्रदर्शित करेंगे।
हिरासत का सिर्फ एक केस सुप्रीम कोर्ट में
इस पर शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि एक याचिका को छोड़कर किसी में भी हिरासत के मामले उसके पास लंबित नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि हम जम्मू कश्मीर के संबंध में हिरासत का कोई मामले नहीं सुन रहे हैं। हम इस समय अनुराधा भसीन और गुलाम नबी आजाद द्वारा दायर की गईं दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं। ये याचिकाएं आने-जाने और प्रेस की आजादी पर प्रतिबंधों के संबंध में हैं। सिर्फ एक याचिका बंदी प्रत्यक्षीकरण के संबंध में है।
अदालत ने कहा कि बंदी प्रत्यक्षीकरण की सिर्फ एक याचिका (एक व्यापारी की हिरासत के खिलाफ) है क्योंकि याचिकाकर्ता ने जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में एक साथ याचिका दायर की है। अब उन्होंेने अपना केस हाई कोर्ट से वापस ले लिया है, इसलिए उनकी याचिका उनके यहां लंबित है।