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09 October 2021

इंटरव्यू।। आर्यन के एडवोकेट को जमानत की अपील के लिए सीधे सेशन कोर्ट जाना चाहिए था: सुप्रीम कोर्ट के वकील

शाहरूख के बेटे आर्यन खान को मुंबई क्रूज ड्रग्स रेव पार्टी मामले में 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है। शुक्रवार को हुई सुनवाई में मुंबई की एक अदालत ने लंबी बहस के बाद जमानत याचिका खारिज कर दी। वहीं, शनिवार को भी कुछ नहीं हो पाया। अब आर्यन के वकील सतीश मानशिंदे का कहना है कि वो सोमवार को देखेंगे की क्या किया जा सकता है। जबकि,कानून जानकारों का मानना है कि आर्यन के वकील को जमानत के लिए सीधे सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए था। उन्होंने शुक्रवार को हुई सुनवाई में अपना समय जाया किया है। इन सभी मुद्दों पर आउटलुक के नीरज झा ने सुप्रीम कोर्ट के वकील रवींद्र कुमार सिंह और विकास सिंह से खास बातचीत की। 

प्रमुख अंश...

एक तरफ एनसीबी का कहना है कि आर्यन खान के पास से ड्रग्स बरामद नहीं हुआ है। वहीं, वे कह रहे हैं कि ये मामला मजबूत है। आप इसे कैसे देखते हैं? साथ ही, शुक्रवार को मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने जमानत अर्जी खारिज कर दी। क्या आर्यन के वकील ने किसी कानूनी कारण से सीधे सेशन कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया?

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अब तक के मुताबिक ड्रग्स की बरामदी हुई है। हालांकि, आर्यन की संलिप्तता को लेकर चीजें स्पष्ट नहीं हुई है। आर्यन खान की जमानत मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के अधिकार क्षेत्र की कमी के आधार पर खारिज किया गया है। मेरे विचार से सेशन कोर्ट में जमानत के लिए सीधे आवेदन न करने का एक कारण ये हो सकता है कि आर्यन के वकील के अनुसार उनके पास से कुछ भी बरामद नहीं हुआ है या थोड़ी मात्रा में  बरामदी हुई है। लेकिन, एनसीबी के अनुसार, उनके पास व्यावसायिक मात्रा थी इसलिए जमानत खारिज कर दी गई। इस मामले को सेशन कोर्ट में दायर किया जाना चाहिए। हमें ये मालूम होना चाहिए कि जिन धाराओं के तहत आर्यन खान पर मामला दर्ज किया गया है, उनमें 10 साल की जेल की सजा का प्रावधान है, इसमें मजिस्ट्रेट कोर्ट का अधिकार क्षेत्र नहीं आता है। इस मामले में सेशन कोर्ट जमानत की अपील पर अपना फैसला तय करती है।

आप इस पूरे मामले को कैसे देखते हैं?

देखिए, आर्यन खान ड्रग केस ने एक बार फिर पूरे बॉलीवुड को सुर्खियों में ला दिया है, जो प्रसिद्धि और ग्लैमर के अपने दूसरे पक्ष को दिखा रहा है। भारतीय हस्तियां विशेषकर बॉलीवुड का भारतीय समाज पर काफी प्रभाव पड़ता है। वर्तमान में, सोशल मीडिया के निरंतर उपयोग के साथ, लोग/प्रशंसक अपनी पसंदीदा हस्तियों के काफी करीब आ गए हैं। ये इन हस्तियों के कार्यों पर नज़र रखते हैं जैसे वे कैसे रहते हैं, क्या खाते हैं, इनके बच्चे क्या कर रहे हैं। आर्यन खान के इस मामले में भी इसे आर्यन खान केस का नाम देकर बड़ा किया गया है, हालांकि अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा जैसे अन्य आरोपी भी शामिल हैं। यदि हम आर्यन के पिता शाहरूख का नाम इसके नाम से अलग करें तो आर्यन खान सिर्फ 23 साल का एक लड़का है। दर्शकों को मिनट-दर-मिनट अपडेट देना और इसे तथाकथित "हाई-प्रोफाइल" मामला कहना, मुझे लगता है कि उनके मामले को गुप्त रूप से देखा जाना चाहिए। इसे एनसीबी मामले के रूप में सनसनीखेज नहीं करना चाहिए।

आपको लगता है कि एनसीबी द्वारा की गई कार्रवाई सही दिशा में जा रही है?

हाँ, अभी तक के मुताबिक मैं ये कह सकता हूँ। एनसीबी इस ड्रग रैकेट की कड़ी का पता लगाने की पूरी कोशिश कर रही है। एएसजी के अनुसार, एनसीबी को व्हाट्सएप चैट और अन्य सामग्री में भी "चौंकाने वाली आपत्तिजनक सामग्री" मिले हैं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, मुंबई जोन यूनिट के अधीक्षक के अनुसार, आर्यन खान को 3 अक्टूबर 2021 को दो बजे गिरफ्तार किया गया। उनपर एनडीपीएस अधिनियम 1985 के तहत दंडनीय उपभोग, बिक्री और खरीद में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। अन्य ज्ञात और अज्ञात व्यक्तियों के साथ धारा 8 (सी) के उल्लंघन के लिए और धारा 20 (बी), 27 के तहत दंडनीय अपराध करने के लिए एनडीपीएस अधिनियम 1985 के 35 तहत 13 ग्राम कोकीन, 5 ग्राम एमडी, 21 ग्राम चरस और एमडीएमए (एक्स्टसी) की 22 गोलियां, जबकि दो अक्टूबर को इंटरनेशनल क्रूज टर्मिनल, ग्रीन गेट मुंबई से एनसीबी अपराध संख्या 94/2021 के तहत 1,33,000 रूपए की बरामदी हुई। जिस तरह की चीजें निकलकर आ रही है, उससे एनसीबी इस ड्रग रैकेट के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन तक पहुंच सकती है।

इस केस में सवाल 'पंच' बनाने का भी है। कानून कहता है कि आप इसमें एक स्वतंत्र व्यक्ति को शामिल कर सकते हैं लेकिन दो लोगों को बीजेपी कार्यकर्ता बताया जा रहा है। ये आरोपी आर्यन और अरवाज मर्जेंट को एनसीबी दफ्तर लाते हुए भी नजर आ रहे थे। आप इस बारे में क्या कहेंगे?

मैं इसके राजनीतिक पहलू में नहीं जाना चाहूंगा। क्योंकि, हम उपलब्ध रिकॉर्ड के तथ्यों को देख सकते हैं। मनीष भानुशाली के मुताबिक वो बीजेपी का कार्यकर्ता है। उसका कहना है, "मैं अरबाज मर्चेंट को एनसीबी कार्यालय नहीं लाया था, लेकिन एनसीबी अधिकारियों के साथ था क्योंकि उन्होंने मुझे गवाह के रूप में दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा था। मेरे द्वारा ड्रग पार्टी के बारे में दी गई जानकारी के आधार पर छापेमारी की गई। इसलिए, इस बयान के अनुसार, मुझे लगता है कि यह एनसीबी को तय करना है कि उसकी इसमें कितनी संलिप्तता है?

हाल ही में गुजरात के मुंद्रा अडानी पोर्ट से 3,000 क्विंटल की मात्रा में ड्रग्स जब्त किया गया है। लेकिन, अभी इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, आपकी इस पर क्या राय है?

हम कैसे कह सकते हैं कि मुंद्रा अडानी पोर्ट ड्रग मामले में एनसीबी कोई कार्रवाई नहीं कर रही है? एनसीबी ने निश्चित रूप से अपना काम शुरू किया होगा। ये सिर्फ मीडिया द्वारा खबरों को सनसनीखेज और प्राथमिकता देने की बात है। जैसा कि मैंने पहले ही उल्लेख किया है, यहां तक कि आर्यन खान के मामले को भी बिना शोर-शराबे के निपटाया जा सकता था। पोर्ट पर मिलने वाले पदार्थ की मात्रा बहुत अधिक है। इसलिए प्रक्रिया में समय लगता है। हो सकता है कि एनसीबी को अभी तक इस मामले में कोई और कनेक्शन या लिंक नहीं मिला होगा।

एक साल से अधिक समय बीत चुका है। रिया मामले में कुछ भी सामने नहीं आया है! कहा जा रहा है कि एनसीबी इंडस्ट्री को परेशान कर रही है?

जैसा कि मैंने पहले ही आपको बताया कि इन कानूनी प्रक्रियाओं के समाप्त होने और न्याय तक पहुंचने में वक्त लगता है। दोनों मामले अलग-अलग हैं। हम एक-दूसरे की तुलना नहीं कर सकते हैं। विशेष रूप से ये ड्रग्स और बॉलीवुड से जुड़े संवेदनशील मामले हैं, जो बड़े पैमाने पर समाज को प्रभावित कर सकता हैं। मुझे नहीं लगता कि एनसीबी का बॉलीवुड उद्योग को लेकर इस तरह की कोई मंशा है। सबूत के आधार पर ही कार्रवाई की जा रही है।

देश में साधु-संत खुलेआम कुंभ मेला जैसे कार्यक्रमों में गांजा, चरस का प्रयोग करते हैं... लेकिन उन पर कार्रवाई क्यों नहीं?

हम विविध धर्मों वाले देश में रहते हैं। प्रत्येक धर्म के अपने नियम है, जिसको इसे मानने वाले पालन करते हैं। यहां प्रत्येक धर्म का सम्मान किया जाता है। साधुओं द्वारा भांग लेना आस्था और धर्म से जुड़ा है। मनोरंजन के लिए भांग पीना अवैध है और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि यहां इरादा बिल्कुल भिन्न है। साधु दूसरों को इसे धूम्रपान करने के लिए प्रभावित या राजी नहीं करते हैं। जबकि दूसरी ओर देखें तो आर्यन खान और रिया चक्रवर्ती जैसे मामलों में देश के युवाओं को प्रभावित करने की सबसे अधिक संभावना है। ये युवाओं के रोल-मॉडल हैं।

सुशांत सिंह राजपूत केस के बाद एनसीबी की सक्रियता सबसे अधिक देखी जा रही है। क्या हम कह सकते हैं कि बॉलीवुड निशाने पर है? क्योंकि, एनसीबी की रेड में दीपिका से लेकर सारा अली तक कई सेलेब्रिटीज के नाम आ चुके हैं, लेकिन अभी तक कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं हुई है।

नहीं, ऐसा मैं नहीं मानता हूं। जहां तक सुशांत सिंह राजपूत मामले और बॉलीवुड हस्तियों से जुड़े अन्य मामलों का संबंध है, ये कोर्ट के सामने है। कोर्ट में एजेंसी अपने सबूत को पेश कर रही है। अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है। मुकदमा खत्म होने के बाद ही कुछ कह सकते हैं। फैसला कोर्ट को करना है। जो दोषी होगा उसे दंडित किया जाएगा। जांच एजेंसी अपना काम कर रही है। इसे निशाने के तौर पर नहीं देखना चाहिए।

जैसे ही कोई बड़ा नाम सामने आता है। मीडिया ट्रायल देखने को मिलता है। आरोपी को अपराधी बना दिया जाता है। इसे कैसे देखें?

बिल्कुल, ऐसा कुछ सालों में देखने को मिला है। जब मीडिया ट्रायल होता है तो विचाराधीन आरोपी को कानून के अनुसार नहीं बल्कि जनता की राय के अनुसार अपराधी बना दिया जाता है। अदालत द्वारा आरोपी को दोषी ठहराए जाने से बहुत पहले ही मीडिया ट्रायल मामले में अपना फैसला दे देता है, जो नुकसानदेय है।

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TAGS: Aryan Khan, sessions court, Supreme Court Advocate, Vikash Singh, Ravindra Kumar Singh, Drugs Case, Neeraj Jha, नीरज झा, आर्यन खान, शाहरूख खान
OUTLOOK 09 October, 2021
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