भारत में नए साल के दिन पैदा हुए 67385 बच्चे, दुनिया में अव्वल
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा कि दुनिया भर में लगभग 400,000 शिशुओं का जन्म नए साल के दिन हुआ जिनमें अकेले भारत में जन्मे बच्चों की संख्या 67,385 है। यानी एक जनवरी को दुनियाभर में जितने बच्चे पैदा हुए उनमें से 17 फीसदी बच्चे भारत में जन्मे हैं। किसी भी अन्य देश में 1 जनवरी को इतने बच्चे पैदा नहीं हुए। जबकि दूसरे नंबर पर इस लिस्ट में चीन रहा। बता दें कि साल 2020 में पहले बच्चे ने पैसिफिक क्षेत्र में फिजी में जन्म लिया।
यूनिसेफ ने साल के पहले दिन जन्म लेने वाले बच्चों के आंकड़े जारी किए हैं। इन आंकड़ों के अनुसार, 1 जनवरी 2020 को 3,92,078 बच्चे पैदा हुए। इनमें से सबसे ज्यादा 67385 बच्चे भारत में पैदा हुए। इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर चीन रहा। इसके बाद नाइजीरिया, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, अमेरिका, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और इथियोपिया है। रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में पैदा होने वाले कुल बच्चों का लगभग 50 फीसद इन्हीं आठ देशों में है।
पहले बच्चे का जन्म फिजी में
साल 2020 में पहले बच्चे ने पैसिफिक क्षेत्र में फिजी में जन्म लिया। जबकि पहले दिन पैदा होने वाला आखिरी बच्चा अमेरिका में होगा। यूनीसेफ दुनियाभर में पैदा होने वाले बच्चों को लेकर तथ्य सामने रखे हैं। इन तथ्यों में एक दुखद आंकड़ा यह भी है कि 2018 में 25 लाख नवजात शिशुओं ने जन्म के पहले महीने में ही अपनी जान गवां दी थी। इनमें से लगभग एक तिहाई शिशुओं की मौत पैदा होने वाले दिन ही हो गई थी।
सेप्सिस और न्यूमोनिया जैसी बीमारियों से हो रही शिशुओं की मौत
यूनिसेफ ने एक प्रेस रिलीज में बताया है कि 2016 में साल के हर दिन पहले 24 घंटों के भीतर अनुमानित 2,600 बच्चों की मौत हुई। इन शिशुओं की मौत के पीछे सेप्सिस और न्यूमोनिया जैसी बीमारियों को वजह बताया गया है। यूनिसेफ का कहना है कि इन मौतों की रोकथाम के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। यह भी बताया गया है कि पिछले तीन साल में शिशु मृत्यु दर में काफी गिरावट दर्ज की गई है।
शिशु मृत्युदर में दुनिया भर में आई कमी
यूनिसेफ ने कहा कि पिछले तीन दशकों में, दुनिया ने ‘बच्चों के अस्तित्व’ में उल्लेखनीय प्रगति देखी है, दुनिया भर में उन बच्चों की संख्या में कटौती हुई है जो अपने पांचवें जन्मदिन से पहले आधे से अधिक मर जाते हैं। लेकिन नवजात शिशुओं के लिए धीमी प्रगति हुई है। पहले महीने में मरने वाले शिशुओं की 2018 में पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में 47 प्रतिशत की मृत्यु हुई, जो 1990 में 40 प्रतिशत थी।