गृह मंत्रालय ने कहा, जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण तरीके से हुई ईद की नमाज, नहीं हुई अप्रिय घटना
ईद के मौके पर जम्मू कश्मीर में नमाज शांतिपूर्ण ढंग से हुई। गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, श्रीनगर और शोपियां में सभी प्रमुख मस्जिदों में लोग अच्छी खासी तादाद में घरों से निकले। जम्मू की ईदगाह में करीब 4500 लोग इकट्ठा हुए। वहीं अनंतनाग, बारामूला, बडगाम, बांदीपोरा में भी किसी तरह की अप्रिय घटना नहीं हुई। बारामूला की जामा मस्जिद में करीब 10 हजार लोग नमाज अदा करने पहुंचे।
श्रीनगर में नमाज के बाद एक बार फिर प्रतिबंधों में ढील खत्म कर दी गई। एक दिन पहले ही घाटी में कई स्थानों पर लोगों को ईद की खरीददारी के लिए छूट दी गई थी। हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि रविवार सुबह से ही पुलिसकर्मी गाड़ियों से अलग-अलग इलाकों में गश्त कर रहे हैं और लोगों से जल्द घर लौटने की अपील कर रहे हैं। दुकानदारों से भी दुकान बंद रखने के लिए कहा गया है।
दी गई नमाज की इजाजत
घाटी में सोमवार को मस्जिद में ईद-उल-जुहा की नमाज पढ़ने के लिए लोगों को इजाजत दी गई। गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया, 'अनंतनाग, बारामूला, बड़गाम, बांदीपोरा की सभी स्थानीय मस्जिदों में बिना किसी अप्रिय घटना के शांतिपूर्वक नमाज अदा की गई। जामिया मस्जिद, ओल्ड टाउन बारामूला में लगभग 10,000 लोगों ने नमाज अदा की।'
अधिकारियों ने रविवार को कहा था कि लोगों को नमाज अदा करने के लिए पड़ोस की मस्जिदों में जाने की अनुमति दी जाएगी। एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि घाटी के किसी भी हिस्से में बड़े समारोहों की अनुमति नहीं है।
ईद की पूर्व संध्या पर, घाटी में प्रतिबंधों को कम करके लोगों को त्योहार के लिए खरीदारी करने की अनुमति दी गई थी। अधिकारी ने कहा कि जिला प्रशासन जम्मू-कश्मीर में स्थिति की लगातार समीक्षा कर रहा है और आंदोलन पर लगाए गए प्रतिबंध के दौरान लोगों को होने वाली असुविधा को कम करने की पूरी कोशिश कर रहा है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सरकार ने कश्मीर घाटी में पर्याप्त भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता की भी व्यवस्था की है और कुछ सामानों को यहां तक पहुंचाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
इस मौके पर नमाज को देखते हुए प्रशासन ने लोगों को खाने-पीने समेत अन्य आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी के लिए पाबंदियों में ढील दी। अधिकारियों के अनुसार, घाटी में हिंसा की कोई खबर नहीं है। श्रीनगर में भी बकरीद के मौके पर नमाज अदा कर बाहर निकलते लोगों ने पुलिसवालों से भी गले मिलकर ईद की बधाई दी।
'शांति बनाए रखना सरकार की पहली प्राथमिकता'
अधिकारी ने अपनी गोपनीयता बनाए रखते हुए बताया कि सरकार की पहली प्राथमिकता राज्य में शांति बनाए रखना और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने की है। जम्मू कश्मीर में सभी जिलों के प्रशासनिक अधिकारी लगातार स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं।
'यथाशीघ्र रोक हटेगी मोबाइल और लैंडलाइन फोन से'
पिछले शुक्रवार को लोगों को पड़ोस की मस्जिद में जाने और नमाज पढ़ने की इजाजत दी गई थी लेकिन घाटी में कहीं भी बड़ी भीड़ जुटने की इजाजत नहीं दी गई। संचार माध्यमों पर प्रतिबंधों के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि यह उपाय शांति बनाए रखने के लिए अस्थायी हैं ताकि गलत सूचनाएं और अफवाहें न फैलें। अधिकारी ने कहा कि सरकार जमीनी स्थिति पर सतर्कता बरत रही है और हर संभव प्रयास कर रही है कि लोगों को कम से कम तकलीफ हो। हर रोज प्रतिबंधों में ढील दी जा रही है। मोबाइल और टेलीफोन पर प्रतिबंध हम यथाशीघ्र हटाने के बारे में फैसला करेंगे। सभी फैसले केंद्र सरकार द्वारा नहीं लिए जाते हैं। स्थानीय प्रशासन कानून-व्यवस्था की स्थिति के अनुसार फैसला करता है।
डोर स्टेप डिलीवरी की व्यवस्था
अधिकारी ने कहा कि कश्मीर के सभी हिस्सों में हालात सामान्य हैं और कहीं भी हिंसा की घटनाएं नहीं हुई हैं। रविवार को बाजार खुले रहे ताकि लोग त्योहार की खरीदारी कर सकें। सरकार ने भी खाने-पीने की वस्तुएं और अन्य सामान की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं। ये वस्तुएं लोगों के घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था की गई है।
सीआरपीएफ की हेल्पलाइन का नया मोबाइल नंबर
श्रीनगर में सीआरपीएफ की हेल्पलाइन ने आम लोगों खासकर कश्मीरियों के लिए एक नया मोबाइल नंबर शुरू किया है। बाहर रह रहे कश्मीरी इस नंबर के जरिये अपने परिवार से संपर्क कर सकते हैं। कोई समस्या होने पर भी इस नंबर पर संपर्क किया जा सकता है। मददगार हेल्पलाइन द्वारा ट्वीटर पर दी गई जानकारी के मुताबिक लोग मोबाइल नंबर 9469793260 पर संपर्क कर सकते हैं।
ईद का त्योहार बंधनों को और अधिक मजबूत करेगा: जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने रविवार को लोगों को ईद-उल-जुहा की मुबारकबाद देते हुए उनकी भलाई और समृद्धि की कामना की। राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह त्योहार सांप्रदायिक सौहार्द, भाईचारे और मेल-जोल को और अधिक मजबूत करेगा। साथ ही जम्मू-कश्मीर के उस गौरवशाली बहुलवादी सदाचार को पुनर्जीवित करेगा जिसके लिये वह सदियों से जाना जाता है। राज्यपाल ने अपने बधाई संदेश में जम्मू-कश्मीर में शांति, प्रगति और समृद्धि की कामना की।