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15 October 2017

जब राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना चाहते थे डॉ. कलाम

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पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन से लोग कुछ ना कुछ अवश्य सीखते हैं। उनके जीवन के हर पहलुओं में कई ऐसी बातें छुपी हुई हैं, जो आम लोगों को चौंकाती भी है और दिवगंत राष्ट्रपति के प्रति श्रद्धा का भाव भी पैदा करती है।

ऐसी ही एक घटना के बारे में खुलासा किया डॉ. कलाम के तत्कालीन प्रेस सचिव एसएम खान ने। खान के अनुसार 2005 में बिहार विधानसभा भंग करने की अधिसूचना सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद्द कर दिए जाने के बाद कलाम राष्ट्रपति पद छोड़ना चाहते थे।

खान ने 2015 में एसओए विश्वविद्यालय (शिक्षा ओ अनुसंधान यूनिवर्सिटी) के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा,  हालांकि कलाम अनिच्छुक थे,  लेकिन उन्होंने अधिसूचना पर हस्ताक्षर कर दिए। वह इसे खारिज कर सकते थे, लेकिन अगर यह उनके पास दोबारा भेजा जाता तो उनके पास हस्ताक्षर करने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह जाता। जब सुप्रीम कोर्ट ने अधिसूचना को रद्द कर दिया,  कलाम ने अफसोस करते हुए कहा था कि उन्हें कैबिनेट के फैसले को खारिज कर देना चाहिए था और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने पर विचार किया था।

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बड़े भाई को भी बताया

खान ने बताया,  “यहां तक कि उन्होंने रामेश्वरम में अपने बड़े भाई से भी विचार-विमर्श किया था। खान ने कहा कि कलाम ने बाद में ऐसा नहीं करने का फैसला किया, क्योंकि इससे कई संवैधानिक समस्याएं पैदा हो जातीं।”

क्या हुआ था तब?

दरअसल, बिहार के तत्कालीन राज्यपाल बूटा सिंह ने 2005 में विधानसभा भंग करने की सिफारिश की थी, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नीत केंद्रीय कैबिनेट ने स्वीकार कर लिया और राष्ट्रपति के पास भेज दिया। कलाम उस समय मॉस्को की यात्रा पर थे और उन्होंने वहीं इस पर हस्ताक्षर किए थे।

अधिसूचना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और न्यायमूर्ति वाईके सभरवाल नीत पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 7 अक्तूबर 2005 को बहुमत से फैसला दिया था कि बिहार विधानसभा को भंग करने की 23 मई की अधिसूचना असंवैधानिक है।

 

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TAGS: Birthday special, Dr. APJ Kalam, resign, presidency
OUTLOOK 15 October, 2017
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