रामदास अठावले के जरिए निशाना पंजाब और उत्तर प्रदेश
भाजपा ने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के नेता और राज्यसभा सांसद रामदास अठावले को मंत्रिमंडल में शामिल करके महाराष्ट्र के अलावा दो राज्यों में दलित वोटों को पार्टी की ओर खींचने की कोशिश की है। उत्तर प्रदेश से ज्यादा असर रामदास अठावले का पंजाब में है। पंजाब में दलितों के बीच उनकी अच्छी पैठ मानी जाती है। भाजपा के नेताओं ने बताया कि पिछले लोकसभा चुनावों में भी रामदास अठावले का पंजाब में दौरा पार्टी के लिए फायदेमंद रहा था। खुद रामदास अठावले ने अनौपाचिक बातचीत में यह संकेत दिया कि केंद्र सरकार की जो दलित विरोधी छवि बन गई थी, उससे बाहर निकलना जरूरी था।
पंजाब के अलावा उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से हाथी खींचकर भाजपा में ले आएंगे। ये भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से बड़ी रणनीति का हिस्सा है। हालांकि उत्तर प्रदेश में भाजपा जाटव बनाम शेष दलित खासतौर से वाल्मिकि समुदाय करने की कोशिश कर रही है और उस लिहाज से रामदास अठावले कितने कारगर होंगे यह तो समय ही बताएगा।
चूंकि इस समय दलितों के एक बड़े नेता के तौर पर रामदास अठावले गिने जाते हैं, लिहाजा उन्हें मंत्रीमंडल में शामिल करके राष्ट्रीय स्तर पर एक संदेश देना जरूरी था कि मोदी मंत्रिमंडल में बड़ी संख्या में दलितों को जगह मिली है। वैसे भी रामदास अठावले को कांग्रेस ने कभी सही जगह नहीं दी थी, इसलिए कांग्रेस के दलित कार्ड की वह अच्छी काट पेश कर सकते हैं। आरक्षण पर कई बार घिर चुकी भाजपा के लिए अंबेडकर और आरक्षण पर बैटिंग करने के लिए रामदास एक काबिल नेता साबित हो सकते हैं।