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10 September 2020

दफ्तर ढहाए जाने के ख‍िलाफ कंगना रनौत की याचिका पर सुनवाई 22 सितंबर तक टली

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीएमसी द्वारा कंगना रनौत के कार्यालय में की गई तोड़फोड़ के मामले को 22 सितंबर तक स्थगित किया। इस मामले में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने अपना जवाब दायर किया जबकि कंगना के वकील ने हलफनामे पर जवाब देने के लिए समय मांगा।

बता दें कि बीएमसी की ओर से कंगना अपने ऑफिस गिराए जाने के बीच बुधवार को ही हाईकोर्ट पहुंची थीं, उनकी इस याचिका के बाद कोर्ट ने बीएमसी से जवाब मांगा। दरअसल, इसके पहले हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा था कि 30 सितंबर तक कोई भी इमारत ध्वस्त नहीं की जाएगी।

बता दें कि महाराष्ट्र सरकार के अंतर्गत आने वाली बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (बीएमसी) ने बुधवार को कंगना रानौत के बांद्रा स्थित बंगले में 'अवैध रूप से किए गए निर्माण' को ध्वस्त कर दिया। कंगना का कहना है कि शिवसेना के साथ हुए उनके विवाद के बाद महाराष्ट्र सरकार उनको निशाना बना रही है।

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न्यूज एजेंसी पीटीआई ने बीएमसी अधिकारियों के हवाले बताया कि बीएमसी ने बुुधवार की सुबह 11 बजे ही तोड़फोड़ का काम शुरू कर दिया था। इसके पहले ही बीएमसी ने उनके बंगले पर एक दूसरा नोटिस चिपकाया था, जिसमें निर्माण गिराने की बात कही गई थी।

रनौत के वकील रिजवान सिद्दीकी ने कहा, ‘‘हमने तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए बुधवार सुबह याचिका दायर की। हमने निर्माण ढहाए जाने की प्रक्रिया पर अंतरिम राहत के तौर पर रोक लगाए जाने का अनुरोध किया।’’

नगर निकाय के एक अधिकारी ने बताया कि कि बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने रनौत के बांद्रा स्थित बंगले में किए गए ‘‘अवैध बदलाव’’ को बुधवार को ढहा दिया।

मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से करने संबंधी रनौत के हालिया बयान पर राज्य में सत्तारूढ़ शिवसेना ने नाराजगी जताई है। बीएमसी में भी शिवसेना का ही शासन है। रनौत (33) ने आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र सरकार शिवसेना के साथ उनकी लड़ाई के कारण उन्हें निशाना बना रही है।

बीएमसी के अधिकारियों ने रनौत के बांद्रा के पाली हिल स्थित बंगले के बाहर ‘काम रोकने का’ नोटिस मंगलवार को चिपकाया था, जिसमें कहा गया था कि नगर निकाय की मंजूरी के बिना बंगले में कई बदलाव किए गए हैं। साथ ही, बीएमसी ने एक स्थानीय अदालत में कैविएट याचिका दायर की है और आग्रह किया कि यदि अभिनेत्री उन्हें जारी किए गए ‘काम रोकने’ के नोटिस को चुनौती देती हैं तो नगर निकाय को पहले सुना जाए। कैविएट में अदालत से आग्रह किया जाता है कि यह याचिका दायर करने वाले को सुने बिना कोई आदेश जारी न किया जाए।

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TAGS: Bombay High Court, Kangana Ranau, kangana office demolition, Maharashtra Government, uddhav government, Kangana vs shiv sena, BMC, कंगना रनौत, महाराष्ट्र, उद्धव ठाकरे, शिवसेना, बम्बई हाईकोर्ट
OUTLOOK 10 September, 2020
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