बुरहान वानी को मार गिराने के लिए तीन सैनिकों को वीरता पुरस्कार
पिछले साल आठ जुलाई के अभियान का ब्योरा सामने आने के बाद पता चला था कि सरताज अजीज और दो अन्य आतंकवादियों के बुमडूरा गांव के एक मकान में छिपे होने की कार्रवाई लायक खुफिया सूचना मिलने के बाद अभियान दल के अगुवा युवा मेजर संदीप कुमार ने उनका सफाया करने में भड़काउपूर्ण कार्रवाई के बाद भी सूझबूझ और संयम का परिचय दिया था।
अनंतनाग से करीब 18 किलोमीटर दूर इस गांव को चारों ओर से घेर लिया गया लेकिन सेना की मौजूदगी की खबर लीक हो गयी। इससे अभियान दल का काम और चुनौतीपूर्ण हो गया।
मेजर कुमार, कैप्टन मानिक शर्मा और नाइक अरविंद सिंह चौहान को अपनी टीम द्वारा उस मकान पर धावा बोलने से पहले काफी देर तक इंतजार करना पड़ा जहां ये आतंकवादी छिपे थे। प्रदर्शनकारी भीड़ हर पल बढ़ती जा रही थी और लोग नारे लगा रहे थे एवं सैन्य टुकड़ी पर पत्थर फेंक रहे थे।
टीम की अगुवाई करते हुए कैप्टन शर्मा एवं दो अन्य ने मकान में घुसने की भी कोशिश की और मेजर कुमार उनके पीछे कवर फायर देने के लिए तैयार थे। लेकिन ग्रामीणों के पथराव के चलते उन्हें पीछे हटना पड़ा।
इस सैन्य टुकड़ी की गतिविधि के संपर्क में रहे जिला मुख्यालय के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, हम हर मिनट की गिनती कर रहे थे और मकान पर घेरा डालने की भी योजना बना रह थे क्योंकि शाम हो चली थी और अशांत भीड़ के पास हाथों में पत्थर थे।
इसी बीच मेजर कुमार और उनकी टीम ने घर पर धावा बोलने की दूसरी कोशिश की और आतंकवादियों ने अंधाधुंध गोलियां चलायीं। अजीज ने भागने की असफल कोशिश की लेकिन वह मारा गया। समय तेजी से निकल रहा था और दो आतंकवादी अंदर थे।
जब हिंसक प्रदर्शन तेज होने लगा और अंधेरा होने के बाद भी ग्रामीणों की अक्रामकता और उनकी संख्या कम नहीं हो रही थी। तब साहसी मेजर और उनकी टीम ने घर में घुसने का फैसला किया लेकिन तभी आतंकवादियों ने भागने की कोशिश में ताबड़तोड़ गोलियां चलायीं।
आतंकवादी परवेज अहमद लश्करी राष्ट्रीय राइफल्स की इस टीम की जवाबी कार्रवाई में मारा गया। अंत में एक बचे आतंकवादी को इस टीम ने चुनौती दी और वह ढेर हो गया। बाद में पता चला कि वह अंतिम आतंकवादी हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर बुरहान वानी था। भाषा