बांग्लादेश के साथ थल सीमा समझौते को कैबिनेट की मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज यहां सुबह मंत्रिमंडल की बैठक में इस विधेयक को मंजूरी दी गयी। इसे कल राज्यसभा में पेश किये जाने की संभावना है। उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि सरकार ने इस विषय में राज्यसभा में विभिन्न दलों के नेताओं के साथ पहले ही बातचीत कर ली है। इस मुद्दे से संबंधित एक विधेयक राज्यसभा में दिसंबर 2013 से लंबित है।
इससे पहले सरकार ने यह विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत करने का प्रस्ताव किया था। सरकार को विपक्षी दलों की ओर से कड़े विरोध का सामना करना पड़ा, क्योंकि वह चाहते थे कि विधेयक में असम से जुड़े क्षेत्रों को भी शामिल किया जाए। आज स्वीकृत विधेयक में असम के क्षेत्राों को जोड़ने से संकेत मिलता है कि सरकार सभी पक्षों की सहमति से इस विधेयक को पारित कराना चाहती है।
सरकार बांग्लादेश के साथ थल सीमा समझौते की पुष्टि के लिए संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत करेगी। इसको लागू करने के लिए कम से कम आधे राज्यों की विधानसभाओं की मंजूरी भी जरूरी है। मंत्रिमंडल के आज के निर्णय से एक दिन पहले भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शीर्ष नेताओं ने इस विधेयक के संबंध में असम में अपने शीर्ष नेताओं से बातचीत की और उसके बाद इसमें असम से जुड़े भू-भागों को भी बनाये रखने का निर्णय किया गया है।
बैठक में गृहमंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के संयुक्त महासचिव कृष्ण गोपाल ने भी भाग लिया। यह बैठक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के घर पर हुयी, और कई घंटे चली। सूत्रों ने बताया कि भाजपा एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शीर्ष नेताओं ने असम विधानसभा चुनावों में पार्टी की रणनीति पर भी चर्चा की। यह चुनाव अगले साल होने वाले हैं। बांग्लादेश के साथ सीमा में नये सिरे से समायोजन का समझौता असम के लिए भावनात्मक मुद्दा बन गया है। कांग्रेस ने मांग की थी कि विधेयक से असम के भूखंडो को अलग नहीं किया जाए। पार्टी ने संकेत दिया था कि वह इस विधेयक में असम के क्षेत्रों को शामिल नहीं किये जाने से पूरे दम-खम से इसका विरोध करेगी।