भारत में भी सिंगल डोज वाली वैक्सीन को मिल सकती है मंजूरी, डेटा इकट्ठा कर रही सरकार
कोविड 19 महामारी के खिलाफ जारी इस जंग को जीतने के लिए पूरे देश में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। वहीं जून महीने में वैक्सीन की प्रयाप्त मात्रा उपलब्ध होने की संभावना बताई जा रही है। इस बीच केंद्र सरकार सिंगल डोज वाली वैक्सीन को मंजूरी देने पर विचार कर रही है। सिंगल डोज वाली वैक्सीन से घनी आबादी को तेजी से कवर करने में मदद मिलेगी।
अंग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एक नए प्रस्तावित कोविड वैक्सीन ट्रैकर प्लेटफॉर्म से डेटा एकत्र करने के बाद कोविशील्ड खुराक के बीच के अंतराल को बढ़ाने के अपने निर्णय के प्रभाव की समीक्षा करने की योजना बना रही है। सूत्रों ने कहा कि डेटा, सरकार को यह तय करने में भी सहायता कर सकता है कि कोविशील्ड के लिए सिंगल खुराक के नियम को स्वीकृति दी जाए या नहीं। सूत्रों ने कहा कि नए प्लेटफॉर्म के डेटा का अगस्त के आसपास विश्लेषण किए जाने की उम्मीद है।
आपको बता दें कि कोविशील्ड भारत में इस्तेमाल में आने वाली मुख्य कोविड वैक्सीन है। अब तक देश में 20.89 करोड़ वैक्सीन की खुराक दी जा चुकी है। इनमें से करीब 90 फीसदी कोविशील्ड है। भारत अपने टीकाकरण अभियान में भारत बायोटेक के कोवैक्सिन का भी इस्तेमाल कर रहा है। इसके अलावा रूस के स्पुतनिक वी के आपातकालीन उपयोग की भी स्वीकृति दी गई है।
नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (एनटीएजीआई) के तहत कोविड वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ एन के अरोड़ा ने बताया, “एक प्लेटफॉर्म बनाया जा रहा है। यहां क्लीनिकल डेटा, वैक्सीन डेटा और समग्र रोग डेटा के तीन सेट का सामंजस्य स्थापित किया जाना है। उसके आधार पर, हम वैक्सीन की प्रभावशीलता, पुन: संक्रमण और रुझानों को देखेंगे।” अरोड़ा के मुताबिक, मार्च-अप्रैल में कोविड के टीकों की प्रभावशीलता का अध्ययन करने की आवश्यकता पर चर्चा शुरू हुई।
समीक्षा का एक अन्य उद्देश्य यह भी समझना है कि क्या एकल खुराक प्रभावी है। इससे जुड़े लोगों के करीबी एक सूत्र ने बताया, “एक तर्क दिया जा रहा है कि अन्य वायरल वेक्टर टीकों में सिंगल डोज संस्करण होते हैं। यह कोविशील्ड के लिए भी काम कर सकता है।”