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07 September 2022

बिलकिस बानो मामले में दोषियों की जल्द रिहाई के लिए केंद्र ने दी थी सहमति: वकील

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील ऋषि मल्होत्रा ने मंगलवार को कहा कि केंद्र ने 2002 के दंगा पीड़ित बिलकिस बानो के सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों की समय से पहले रिहाई के लिए नियमों के अनुसार अपनी सहमति दी थी।

एक डिजिटल समाचार मंच मोजो स्टोरी पर एक पैनल चर्चा के दौरान, मल्होत्रा, जो सुप्रीम कोर्ट में इन 11 दोषियों का प्रतिनिधित्व करते हैं ने कहा कि केंद्र ने गुजरात सरकार की छूट नीति के अनुसार अपनी मंजूरी दी थी, जिसके तहत वे 15 साल से अधिक जेल की सजा काटने के बाद मुक्त हो गए थे।
निचली अदालत ने इन सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

जब पैनल होस्ट ने उनसे पूछा कि क्या केंद्र ने सजा की छूट के लिए नियमों के अनुसार अपनी मंजूरी दी थी।मल्होत्रा ने जवाब दिया,"हां, बिल्कुल।"

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मल्होत्रा ने कहा, "बिल्कुल... सीआरपीसी की धारा 435 के तहत लिया गया। कृपया मेरा बयान दर्ज करें। मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ यह कह रहा हूं कि कानून के तहत केंद्र सरकार की सहमति ली गई थी।"

दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 435 के तहत राज्य सरकार को कुछ मामलों में केंद्र सरकार के साथ परामर्श के बाद कार्रवाई करनी होती है। इनमें सीआरपीसी की धारा 432 और 433 द्वारा राज्य सरकार को सजा में छूट देने या उसे कम करने का अधिकार दिया गया है।

वकील ने कहा, "जब केंद्र और राज्य सरकार दोनों अपने हलफनामे (शीर्ष अदालत में) दाखिल करेंगे तो यह (अनुमोदन) रिकॉर्ड में आ जाएगा।"

अगस्त में गुजरात सरकार द्वारा दोषियों की रिहाई के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा था।

27 फरवरी, 2002 को गोधरा स्टेशन के पास साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे को भीड़ द्वारा जलाए जाने के बाद गुजरात में हुए दंगों से भागते समय बिलकिस बानो 21 साल की थी और पांच महीने की गर्भवती थी। - तीन मार्च 2002 को दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में हुए दंगों में परिवार के सात सदस्यों की मौत हो गई थी।

गुजरात सरकार द्वारा अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दिए जाने के बाद मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोग 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा हो गए। उन्होंने जेल में 15 साल से अधिक समय पूरा किया था।
शीर्ष अदालत में उनकी रिहाई के खिलाफ याचिका माकपा नेता सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लौल और कार्यकर्ता रूप रेखा रानी ने दायर की है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1992 की छूट नीति के तहत राहत के लिए उनकी याचिका पर विचार करने के निर्देश के बाद गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को हत्या और सामूहिक बलात्कार के मामले में सभी 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा।

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TAGS: Supreme Court, lawyer Rishi Malhotra, Bilkis Bano
OUTLOOK 07 September, 2022
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