गोविंद पानसरे हत्याकांड में आठ साल बाद आरोप तय
कम्युनिस्ट नेता और तर्कवादी गोविंद पानसरे की हत्या के करीब आठ साल बाद महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर की एक अदालत ने मामले में दस आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए हैं।
मामले में आरोप तय होने के बाद आपराधिक मुकदमा शुरू होता है।
जज एस एस तांबे ने सोमवार को समीर गायकवाड़, वीरेंद्र सिंह तावड़े, अमोल काले, वासुदेव सूर्यवंशी, भरत कुराने, अमित देगवेकर, शरद कालस्कर, सचिन अंदुरे, अमित बद्दी और गणेश मिस्किन के खिलाफ आरोप तय किए।
मामले की जांच महाराष्ट्र पुलिस के एक विशेष जांच दल ने की थी।
सरकारी वकील शिवाजीराव राणे ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 120-बी (साजिश) और शस्त्र अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आरोप तय किए गए थे।
राणे ने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 23 जनवरी को होगी।
मामले के 12 आरोपियों में से विनय पवार और सारंग अकोलकर फरार हैं।
बाकी लोगों में से गायकवाड़ जमानत पर बाहर हैं। तावड़े को इस मामले में जमानत मिल गई थी, लेकिन वह तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में जेल में हैं।
दाभोलकर मामले में कालस्कर और अंदुरे को भी आरोपी बनाया गया है। प्रसिद्ध अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता डॉ. दाभोलकर की 20 अगस्त, 2013 को पुणे शहर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
गोविंद पानसरे और उनकी पत्नी उमा पानसरे को 15 फरवरी, 2015 को कोल्हापुर शहर में सुबह की सैर के दौरान गोली मार दी गई थी।
पांच दिन बाद गोविंद पानसरे की मृत्यु हो गई, जबकि उनकी पत्नी बच गई।
जांच एजेंसियों के मुताबिक, मामले के कुछ आरोपी दाभोलकर, कन्नड़ लेखक एम एम कलबुर्गी और पत्रकार गौरी लंकेश की हत्याओं से भी जुड़े थे।