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28 December 2022

मेरे पिता : जब पिता ने धमकी दी सत्याग्रह की...

“किशोरावस्था में मेरी जिद और फिजूलखर्ची पर प्यार से मुझे नसीहत देते थे पिता”

भूपेन्द्र सिंह हुड्डापूर्व मुख्यमंत्रीहरियाणा

पुत्रः चौधरी रणबीर सिंह

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देश की आजादी के एक महीने बाद 15 सितंबर 1947 को मेरा जन्म हुआ। मेरे स्वतंत्रता सेनानी पिता चौधरी रणबीर सिंह संविधान सभा के सबसे कम उम्र के सदस्यों में से एक थे। सादा जीवन, उच्च विचार और ईमानदारी उनके जीवन के मूलमंत्र थे। देश के लोकतांत्रिक इतिहास में सात अलग-अलग सदनों के सदस्य रहने का गौरव हासिल करने वाले सच्चे गांधीवादी पिता ने ताउम्र खादी के अलावा दूसरा वस्त्र धारण नहीं किया। किशोरावस्था में मेरी जिद और फिजूलखर्ची पर प्यार से मुझे नसीहत देते, “मैं तो किसान के घर पैदा हुआ था, लेकिन ‘भूपी’ (प्यार से इस नाम से बुलाते थे) तुम्हारा जन्म सांसद के घर में हुआ है।” मेरे लिए यह खुद को सुधारने का उनका इशारा था। हरियाणा की जनता ने जब मुझे मुख्यमंत्री बनाया तो पिताजी ने मुझसे कहा, “धूम्रपान छोड़ दो नहीं तो सत्याग्रह पर बैठ जाऊंगा।” मैंने छोड़ दिया।

पिता जी ने बताया कि आजादी हासिल करने के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने गरीबी, अज्ञानता से लड़ने के लिए समृद्ध लोकतांत्रिक और प्रगतिशील राष्ट्र-निर्माण का लक्ष्य रखा है। इन सारे लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मैंने अपने पिता जी को भी सांसद के रूप में और बाद में महापंजाब के मंत्री के रूप में निरंतर अथक परिश्रम करते हुए देखा। वे लंबी यात्राएं करते थे और घर से हमेशा अपने खाने का सामान साथ लेकर जाते। 22 अक्टूबर 1963 को जब किसानों की जीवन रेखा कहे जाने वाले भाखड़ा बांध परियोजना को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्र को समर्पित किया तो मैं भी पिता जी के साथ उन ऐतिहासिक पलों का साक्षी बना, जो उस वक्त महापंजाब के सिंचाई एवं बिजली मंत्री थे। उस दौर के नेताओं का लक्ष्य चुनाव जीतना नहीं होता था, बल्कि अगली पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए देश का निर्माण करना होता था।

वर्ष 1948 में भारतीय विधान परिषद की बैठक में उन्होंने कहा था, “हम जात-पात वर्ग विहीन समाज बनाना चाहते हैं, जिसमें सभी को एक समान अधिकार हासिल हों।” उनका मानना था कि देश और देश का संविधान बिना गांव, गरीब और किसान के अधूरा है। किसानों के हितों की रक्षा के लिए 1955 में डॉ. पंजाबराव देशमुख द्वारा गठित भारत कृषक समाज के संस्थापक महासचिव रहे पिता जी ने संविधान सभा में किसानों को आयकर के दायरे से मुक्त रखने का प्रावधान कराया। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी की मांग के लिए दो साल से सड़कों पर संघर्षरत किसानों के लिए देश में सबसे पहले एमएसपी की मांग पिता जी ने 1948 में संविधान सभा में उठाई थी, जिसे लाल बहादुर शास्त्री सरकार के समय अमल में लाया गया।

आउटलुक के विशेष संस्करण के लिए पिताजी पर लिखते हुए उन पलों को याद कर रहा हूं, जिनका मेरे अस्तित्व पर जबरदस्त पड़ा। उनका उत्तराधिकारी होने के नाते मुझे स्वतंत्रता आंदोलन के बुनियादी आदर्श और मूल्य विरासत में मिले। मेरे पांच दशक के सार्वजनिक जीवन में ये मार्गदर्शक सिद्धांत बने रहे और इन्हीं के बल पर मुझे राजनीतिक जीवन के उतार-चढ़ाव में दृढ़ और अडिग बने रहने में मदद मिली।

अपने राजनीतिक, सामाजिक जीवन में मैंने हर कदम उनके विचार और व्यक्तित्व की कसौटी पर परख कर उठाया। जब भी मेरे सामने कोई व्यक्तिगत, सामाजिक या राजनीतिक संकट आया, पिता जी के मशविरे ने हमेशा मुझे मझधार से निकालने में पतवार का काम किया। इंसान के रूप में साक्षात देवता स्वरूप, देवतुल्य पिता जी के प्रति हमेशा मेरा दैवीय आदर भाव रहा। इसलिए उनकी अवज्ञा, अनादर की कल्पना भी नहीं कर सकता। कई बार असहमति के बावजूद उनकी राय, उनके आदेश हमेशा शिरोधार्य रहे।

(हरीश मानव से बातचीत पर आधारित)

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TAGS: भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, चौधरी रणबीर सिंह, Chaudhary Ranbir Singh, Bhupinder Singh Hooda
OUTLOOK 28 December, 2022
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