राहत: सरकारी विज्ञापनों में अब मुख्यमंत्री और दूसरे मंत्री भी दिखेंगे
इससे पहले अपने एक फैसले में अदालत ने सिर्फ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश की तस्वीर के प्रकाशन की अनुमति सरकारी विज्ञापनों में दी थी मगर इस फैसले से राज्य सरकारों ही नहीं केंद्र सरकार में भी असंतोष था। उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और असम की सरकारों ने पिछले साल के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। इन राज्य सरकारों की मांग थी कि सरकारी विज्ञापनों में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के तस्वीरों के इस्तेमाल की इजाजत दी जानी चाहिए। आज सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में संशोधन करते हुए सरकारी विज्ञापनों में मुख्यमंत्री, राज्यपाल, और केंद्र तथा राज्य के कैबिनेट मंत्रियों की तस्वीरों के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है।
केंद्र और तमिलनाडु सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था कि देश में तमाम लोग हैं जो सरकारी विज्ञापन में लिखी गई बात को या तो पढ़ नहीं सकते या उन पर ध्यान नहीं देते। केंद्र के मंत्रियों या राज्य के मुख्यमंत्री की तस्वीर लोगों का ध्यान विज्ञापन की तरफ खींचती है। साथ ही अपने विभाग में अच्छा काम कर रहे मंत्रियों या किसी कल्याणकारी योजना को चला रहे मुख्यमंत्री की तस्वीर का विज्ञापन में न होना लोकतंत्र के लिहाज़ से उचित नहीं है।