आरटीआई मामला: सूचना आयोग ने सोनिया को फिर भेजा नोटिस
सूचना आयुक्त बिमल जुल्का, श्रीधर आचार्युलू और सुधीर भार्गव की आयोग की पूर्ण पीठ आरटीआई कार्यकर्ता आर के जैन की शिकायत पर सुनवाई करेगी। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेशों के बाद नया नोटिस जारी किया गया है। हाईकोर्ट ने अगस्त, 2014 को निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता द्वारा दाखिल शिकायत पर तेजी से और छह महीने की अवधि में विचार किया जाए। इसके बाद जैन ने रजिस्ट्रार के खिलाफ आयोग में शिकायत की। जैन ने आरोप लगाया था कि उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद रजिस्ट्रार एम के शर्मा ने आयोग के द्वारा कोई तारीख तय नहीं की। जैन ने अवमानना याचिका दाखिल करने की चेतावनी देते हुए आरोप लगाया था कि रजिस्ट्रार जानबूझकर दुर्भावना और दुराग्रह से दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों और निर्देशों की अवज्ञा कर रहे हैं और चार सप्ताह के नोटिस के बावजूद सुनवाई के लिए मामले को प्रभावित कर रहे हैं।
जैन ने फरवरी, 2014 में कांग्रेस में आरटीआई अर्जी दाखिल की थी लेकिन इसका जवाब नहीं आने पर उन्होंने इस संबंध में बाद में सीआईसी में शिकायत की। जैन ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि यह आयोग की पूर्ण पीठ के आदेश का उल्लंघन है जिसने कांग्रेस के साथ पांच अन्य राष्ट्रीय दलों, भाजपा, भाकपा, माकपा, राकांपा और बसपा को सार्वजनिक प्राधिकार घोषित कर उन्हें आरटीआई कानून के तहत जवाबदेह बनाया था। सूचना देने से मना करना या पूरी जानकारी नहीं देना आरटीआई कानून के तहत अपराध माना जाएगा, जिसमें सार्वजनिक प्राधिकार के जनसूचना अधिकारी पर उस दिन से 250 रुपये प्रति दिन का जुर्माना लगाने का प्रावधान है जिस दिन सूचना दी जानी थी। यह जुर्माना अंतत: सूचना दिए जाने की तारीख तक लगने का प्रावधान है।