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10 November 2015

विरोध करने वालों का आचरण सैनिकों जैसा नहीं : पर्रिकर

पीटीआइ

पर्रिकर ने वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के फैसले को बीते एक साल में अपनी बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि इस कदम को अंतिम रूप भाजपा सरकार ने दिया। उन्होंने कहा यह सैनिकों जैसा आचरण नहीं है। घोषणा के बावजूद जो लोग अब तक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं उन्हें गुमराह किया जा रहा है। पर्रिकर ने कहा कि अगर कोई शिकायत है तो पूर्व सैन्य कर्मी न्यायिक आयोग के समक्ष अपना मामला रख सकते हैं जिसका गठन इसी उद्देश्य से किया जाएगा।

उन्होंने कल कहा था कि लोकतंत्र में मांग करने का अधिकार हर व्यक्ति को है लेकिन सभी मांगों को पूरा नहीं किया जा सकता। सरकार ने देश भर के 24 लाख से अधिक पूर्व सैन्य कर्मियों और करीब छह लाख युद्ध विधवाओं के लिए शनिवार को वन रैंक वन पेंशन योजना औपचारिक रूप से अधिसूचित कर दी। अधिसूचना उस बारे में है जिसकी पर्रिकर ने पांच सितंबर को घोषणा की थी।

बहरहाल इसमें से उन पूर्व सैन्य कर्मियों को ओआरओपी के दायरे से बाहर करने संबंधी विवादित प्रस्ताव को हटा दिया गया है जिन्होंने समय से पहले सेवानिवृत्ति ली थी। लेकिन वन रैंक वन पेंशन का लाभ स्वैच्छिक रूप से सेवा से हटने वाले सैन्य कर्मियों को नहीं मिलेगा। अधिसूचना के अनुसार, भविष्य में यह लागू होगा।

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इस अधिसूचना में सालाना समीक्षा के बाद पेंशन को समान किए जाने, वर्तमान पेंशनयाफ्ता कर्मियों की अधिकतम पेंशन तय करने और सेवारत सैन्य कर्मियों तथा पूर्व सैन्य कर्मियों के प्रतिनिधियों वाला विशेषज्ञ आयोग नियुक्त करने की मांग अधिसूचना में शामिल नहीं है। जून से नई दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने वाले पूर्व सैन्य कर्मियों ने इस अधिसूचना को खारिज कर दिया है।

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TAGS: मनोहर पर्रिकर, रक्षा मंत्री, पूर्व सैनिक, वन रैंक वन पेंशन, आंदोलन, मेडल वापस, Parrikar, defense minister, former soldier, one rank one pension, movement, medal
OUTLOOK 10 November, 2015
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