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06 June 2021

भारतीय वैज्ञानिकों का सनसनीखेज खुलासा, चीन के लैब से ही फैला कोरोना?

प्रतीकात्मक तस्वीर

दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी की उत्पत्ति के लिए चीन सबके निशाने पर रहा है। इस बीच अब भारतीय वैज्ञानिक दंपत्ति ने भी दावा किया है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान लैब से ही निकला है। हिन्दुस्तान की खबर के अनुसार महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाले वैज्ञानिक दंपत्ति डॉ. राहुल बाहुलिकर और डॉ. मोनाली राहलकर ने इस संबंध में दुनिया के कई देशों के लोगों से इंटरनेट पर संपर्क कर सबूत एकट्ठा किया है। जिनमें मुख्य रूप से ट्वीटर और ओपन सोर्स शामिल हैं।

इन लोगों ने अपने टीम को ड्रैस्टिक (डीसेंट्रलाइज्ड रेडिकल ऑटोनॉमस सर्च टीम इनवेस्टिगेटिंग कोविड-19) का नाम दिया है। जिनका अभिमत है कि कोरोना चीन के मछली बाजार से नहीं बल्कि वुहान की लैब से ही निकला है। इस थ्योरी को पहले भी कई लोग षड्यंत्र बताकर खारिज कर चुके हैं, लेकिन इनकी टीम ने फिर से दुनिया का ध्यान इस ओर केंद्रित किया है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी इस मामले की जांच के लिए आदेश दिए हैं।

ड्रैस्टिक टीम चीनी दस्तावेज का अनुवाद कर अपने लेवल पर इसकी जांच कर रही है। चाइनीज एकेडमिक पेपर और गुप्त दस्तावेजों के मुताबिक इसका प्रारंभ वर्ष 2012 से हुआ था। उस दौरान 6 खदान मजदूरों को यन्नान के मोजियांग में उस माइनशाफ्ट को साथ करने भेजा गया था जहां चमगादड़ों का काफी आतंक था। जिसके बाद उन मजदूरों की वहीं मौत हो गई। वर्ष 2013 में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. शी झेंगली और उनकी टीम ने माइनशाफ्ट से सैंपल अपनी लैब में टेस्ट करने लाया था।

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डॉ. शी झेंगली का कहना है कि मजदूरों की मौत गुफा में मौजूद फंगस की वजह से हुई। वहीं इसके विपरीत अब ड्रैस्टिक का दावा है कि शी को एक अनजान कोरोना स्ट्रन मिला जिसे उन लोगों ने आरएसबीटीकोव/4491 का नाम दिया था। रिपोर्ट के अनुसार वुहान वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट के वर्ष 2015-17 के दस्तावेजों में इस का विस्तार से विवरण किया गया है। यह बहुत ही विवादित प्रयोग थे जिन्होंने वायरस को बहुत अधिक संक्रामक बना दिया था। उस थ्योरी के अनुसार एक लैब की गलती कोविड-19 के विस्फोट का वजह बनी।

चीन के एव वायरोलॉजिस्ट के अनुसार अमेरिका के शीर्ष कोरोना वायरस सलाहकार एंथनी फाउजी के ई-मेल साबित करते हैं कि कोरोना का जन्म वुहान के लैब से ही हुआ था। डॉ. ली-मेंग यान उन लोगों में से थीं जिन्होंने सबसे पहले कोरोना के वुहान की लैब से इस वायरस के लीक होने का दावा किया था। डॉ ली-मेंग यान कोरोना पर रिसर्च करने वाले पहले लोगों में से एक थीं जिन्होंने बीजिंज पर इस मामले को छुपाने का आरोप लगाया था। उन्हें इन आरोपों को बाद अंडरग्राउंड होने पर मजबूर किया गया।

 

 

 

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OUTLOOK 06 June, 2021
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