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02 June 2025

आवरण कथा/रक्षा क्षेत्रः देसी हथियारों की धमक

पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-निर्मित हथियारों और उपकरणों की कामयाबी से भारतीय रक्षा उद्योग का मनोबल बढ़ा है। केंद्र सरकार ने 14 मई 2025 को जारी ‘ऑपरेशन सिंदूर: राष्ट्रीय सुरक्षा में आत्मनिर्भर नवाचार उदय’ रिपोर्ट में बताया कि कैसे भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान की ओर से आए तुर्किए और चीन निर्मित ड्रोन और मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान ने 9-10 मई की दरमियानी रात चीन निर्मित पीएल-15 मिसाइलें, तुर्किए मूल के यूएवी ‘यिहा’ से भारत पर हमला किया। पाकिस्तान का मकसद भारत की हवाई रक्षा प्रणाली को तोड़ना था। लेकिन भारत की खासकर डीआरडीओ निर्मित आकाश मिसाइल प्रणाली ने हमले रोकने में अहम भूमिका निभाई।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने वायु सेना के एकीकृत हवाई कमान और नियंत्रण प्रणाली (आइएसीसीएस) के जरिए थल, नौसेना और वायु सेना के बीच बेहतर तालमेल कायम किया। सरकार ने बताया कि आकाश के साथ-साथ पेचोरा, ओएसए-एके और एलएलएडी (लो-लेवल एयर डिफेंस) बंदूकों जैसी मजबूत प्रणालियों की मदद से भी पाकिस्तानी ड्रोन हमलों को विफल किया गया।

आकाश मिसाइल के ‘जनक’ कहे जाने वाले डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक प्रह्लाद रामाराव ने बताया कि इस सफलता के बाद उन्हें कई लोगों ने बधाई दी। आकाश एयर डिफेंस सिस्टम को बनाने में करीब 15 साल लगे थे। ऑपरेशन सिंदूर में यह सिस्टम अपने कॉम्बैट टेस्ट में सफल रहा। रामाराव के मुताबिक, ‘‘अन्य मिसाइलों की गति कुछ समय बाद कम हो जाती है, लेकिन आकाश की गति हमेशा स्थिर रहती है। इसमें लगे राडार के जरिए एक साथ 12 मिसाइल लॉन्च की जा सकती हैं।’’

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अभिनंदनः भुज एयरबेस पहुंचे राजनाथ सिंह

रिपोर्ट के मुताबिक, 9 मई को पाकिस्तान के ड्रोन हमलों के जवाब में भारत ने इस्लामाबाद स्थित चीनी तकनीक से लैस पाकिस्तानी हवाई रक्षा राडार प्रणाली को ठप कर दिया। अगले दिन पाकिस्तान ने मिसाइल हमले की कोशिश की, लेकिन भारतीय सुरक्षा प्रणाली ने उन्हें हवा में ही मार गिराया। उसके बाद भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस को निशाना बनाया।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद गुजरात स्थित भुज एयरबेस पर पहुंचे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संकेत दिया कि जवाबी कार्रवाई में स्वदेशी ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल किया गया। हालांकि सरकार की ओर से इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई। राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘पाकिस्तान अब ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत को स्वीकार कर रहा है। हमारे देश में एक पुरानी कहावत है, ‘दिन में तारे दिखाना’ मेड इन इंडिया ब्रह्मोस ने पाकिस्तान को रात के अंधेरे में भी दिन का उजाला दिखा दिया।’' 

ब्रह्मोस मिसाइल भारत में डीआरडीओ और रूस की एनपीओ मशिनोस्त्रोयेनिया द्वारा संयुक्त रूप से डिजाइन और निर्मित हैं।

इस बार ड्रोन भी कारगर साबित हुए हैं। 2021 में भारत ने ड्रोन युद्ध को प्राथमिकता देना शुरू किया। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने ड्रोन निर्माण को बढ़ावा देने के लिए 120 करोड़ रुपये आवंटित किए, जिससे घरेलू उत्पादन में उछाल आया। 550 से अधिक ड्रोन बनाने वाली कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीएफआइ) का लक्ष्य है कि 2030 तक भारत को वैश्विक ड्रोन हब बनाया जाए।

देसी हथियारों की धमक

भारत का रक्षा बजट भी बढ़ा है। 2013-14 में 2.53 लाख करोड़ रुपये के रक्षा बजट की तुलना में 2024-25 में यह 6.21 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। 2023-24 में भारत का घरेलू रक्षा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपये रहा, जो 2014-15 के 46,429 करोड़ रुपये से लगभग 174 फीसदी की वृद्धि है। सरकार का लक्ष्य 2029 तक इसे 3 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाना है। रक्षा निर्यात में भी बढ़ोतरी हुई है। 2014-15 में 1,941 करोड़ से बढ़कर 2023-24 में यह 21,083 करोड़ रुपये हो गया है, जो 32.5 फीसदी की वार्षिक वृद्धि है। पिछले दशक (2004-14) में 4,312 करोड़ रुपये के मुकाबले 2014-24 में यह 88,319 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

कहा तो यह भी जा रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति में सैटेलाइट का भी इस्तेमाल किया गया। इसी 11 मई को इसरो चेयरमैन वी. नारायणन ने कहा था, ‘‘भारत के सैटेलाइट ने सशस्त्र बलों को हवा में आ रहे हथियारों की सटीक दिशा-ट्रैजेक्टरी की जानकारी देकर अहम भूमिका निभाई है। हमारे पास ऐसे कैमरे हैं जो धरती पर 26 सेंटीमीटर तक की भी साफ तस्वीरें दिखा सकने में सक्षम हैं।’’

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TAGS: Make In India, Ind vs Pakistan, Operation Sindoor, weapons of india, defence sector
OUTLOOK 02 June, 2025
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