कोरोना के हीरो: जो नहीं कर पा रही सरकार, वह इन लोगों के जज्बे ने कर दिखाया
गुरुद्वारा
ऑक्सीजन लंगर
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में भी देश के दूसरे इलाकों की तरह कोरोना का कहर जारी है। मरीजों की संख्या तेजी के साथ बढ़ने के कारण अस्पताल में बेड और ऑक्सीजन की किल्लत हो गई है। ऐसे में गाजियाबाद के इंदिरापुरम स्थित गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा लोगों के लिए संकटमोचन बनकर सामने आया है। गुरुद्वारे की ओर से कोरोना मरीजों के लिए 'ऑक्सीजन लंगर' शुरू किया गया है और उसने बीमार लोगों को अस्पताल में बेड मिलने तक अपने परिसर में ऑक्सीजन आपूर्ति का वादा किया है। गुरुद्वारा के प्रबंधक गुरप्रीत सिंह रम्मी ने बताया कि हम ऑक्सीजन सिलेंडर देने या भरने का काम नहीं कर रहे। हम लोगों से कह रहे हैं कि वे वाहन में अपने मरीज के साथ गुरुद्वारे में आएं और हम उन्हें ऑक्सीजन उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें हम तब तक ऑक्सीजन उपलब्ध कराएंगे जब तक उनको अस्पताल में बेड नहीं मिल जाता। उन्होंने गाजियाबाद के डीएम और सांसद वी.के. सिंह से अपील है कि वे बैकअप के लिए 20-25 ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराएं। इससे 1000 से ज्यादा लोगों की जान बच सकेगी।
अशोक कुर्मी
स्पाइडर मैन नहीं, सैनिटाइजर मैन
मुंबई के सामाजिक कार्यकर्ता और सायन फ्रेंड सर्किल फाउंडेशन के अध्यक्ष अशोक कुर्मी इन दिनों मुंबई की सड़कों पर स्पाइडरमैन की ड्रेस में लोगों को कोविड-19 से बचाने का काम कर रहे हैं। असल में अशोक स्पाइडरमैन की ड्रेस पहन कर मुंबई के विभिन्न इलाकों में बस स्टैण्ड और बसों को सैनिटाइज करने का काम कर रहे हैं। उनकी पीठ पर एक सैनिटाइजेशन किट बंधी रहती है। सैनिटाइजेशन के साथ वे लोगों को मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग के लिए जागरूक करने का भी काम कर रहे हैं। स्पाइडरमैन की ड्रेस पहन कर सैनिटाइजेशन करने का मकसद यह है कि उन्हें ऐसा करता देख लोग याद रखें। इससे उन्हें सैनिटाइजेशन, मास्क और सोशल डिस्टेसिंग का पालन करने का सबक भी याद रहेगा।
प्रकृति चावला
घर-घर मुफ्त खाना
चंडीगढ़ में कोरोना की दूसरी लहर में कई परिवार ऐसे भी हैं जिनके सारे सदस्य कोरोना की चपेट में आ गए हैं। शहर के प्रमुख होटल दॅ एलिट्स की एमडी प्रकृति चावला अपने उद्योगपति ससुर एमपीएस चावला के साथ मिलकर कोरोना संक्रमित परिवारों के घरों तक दो वक्त का खाना मुफ्त पहुंचा रही हैं। उनके अनुसार पहले दिन ही उनके होटल के स्टॉफ ने 320 परिवारों को दोपहर और रात का खाना पहुंचाया। बढ़ते-बढ़ते यह संख्या 450 के पार हो गई है। लेकिन आपूर्ति में यह समस्या आ रही थी, सभी परिवारों को दोपहर 12 से 2 बजे और शाम 6 से 9 बजे के बीच खाना पहुंचाना पड़ता था। पहले दो-तीन दिन तो यह काम बड़ी चुनौती भरा लगा, पर अब इसमें हमारे होटल के स्टॉफ से लेकर मैनेजर तक सब लगे हैं। कॉलेज की कुछ लड़कियां भी सेवा के लिए आगे आई हैं जो दोपहर और शाम के खाने के वक्त अपनी गाड़ियां, स्कूटर लेकर हमारे होटल के बाहर घरों में मुफ्त खाने की डिलीवरी करती हैं।
शाहनवाज शेख
22 लाख की एसयूवी बेच दी
मुंबई के शहनवाज शेख लोगों को मौत से बचाने के लिए, उन्हें जीने की सांस पहुंचा रहे हैं। वे जरूरतमंदों को एक फोन कॉल पर ऑक्सीजन दे रहे हैं, जिसे पूरा करने के लिए एक टीम काम करती है। शाहनवाज की इस पहल के चलते लोग उन्हें "ऑक्सीजन मैन" कहने लगे हैं। शाहनवाज ने पिछले एक साल में 4 हजार से ज्यादा लोगों को मदद पहुंचाई है। लोगों की मदद के लिए उन्होंने अपनी 22 लाख की एसयूवी गाड़ी तक बेच दी। और उस पैसे से 160 ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे। शाहनवाज अपने यूनिटी एंड डिग्निटी फाउंडेशन के जरिए इस अभियान को चला रहे हैं। उनके पास इन दिनों ऑक्सीजन के लिए रोज 500-600 फोन कॉल आ रहे हैं। उनके एक दोस्त के करीबी रिश्तेदार की पिछले साल कोरोना की पहली लहर में ऑक्सीजन नहीं मिलने से मौत हो गई थी। उस घटना ने उन्हें झकझोर दिया और उसके बाद से उन्होंने जरूरतमंदों को ऑक्सीजन आपूर्ति करने का बीड़ा उठाया।
रवि अग्रवाल
मुफ्त में ऑटो से अस्पताल पहुंचाते हैं
कोरोना में मुसीबत में फंसे लोगों के लिए रांची के कोकर में रहने वाले 21 साल के ऑटो चालक रवि अग्रवाल किसी मसीहा से कम नहीं हैं। संकट इतना गहरा है कि संक्रमण के डर से किसी अपने की मौत पर शव लेने और अंतिम संस्कार से भी लोग इनकार कर रहे हैं। ऐसे में अखबार बेच और ऑटो चलाकर घर और अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने वाले रवि रोज कोई आधा दर्जन कोरोना पीड़ितों को मुफ्त में अस्पताल पहुंचाते हैं। 15 अप्रैल से उसने यह काम शुरू किया है। उस दिन दोपहर में लालपुर चौक पर एक उम्रदराज महिला अस्पताल पहुंचाने के लिए गुहार लगा रही थी मगर कोरोना के डर से कोई ऑटो वाला तैयार नहीं हो रहा था। अपने ऑटो के साथ वहीं खड़े रवि नजारा देख रहे थे। उनका दिल पसीजा और महिला को रिम्स (राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान) छोड़ आए। महिला रवि को भाड़ा देने लगी तो उन्होंने सिर्फ आशीर्वाद मांगा। इसके बाद रवि रोज ऐसे जरूरतमंद लोगों को अस्पाताल पहुंचाने लगे। उन्होंने ऑटो पर मोबाइल नंबर लिखने के साथ सोशल मीडिया पर भी उसे डाल दिया है ताकि ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंद उपयोग कर सकें। डर नहीं लगता है, सवाल पर रवि कहते हैं डर खुद के लिए नहीं, परिवार के लिए लगता है।
शशांक गर्ग
ग्रुप के जरिए सेवा
भोपाल के आइपीएस अधिकारी शशांक गर्ग कोरोना के बढ़ते संक्रमण और चरमराती सरकारी व्यवस्था के बीच सोशल मीडिया के जरिए जरूरतमंद लोगों तक मदद मुहैया करवाने का काम कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर उन्होंने अलग-अलग ग्रुप बनाकर डॉक्टर, इंजीनियर, अफसर, पत्रकार और अन्य लोगों को जोड़ा है। पांच दिन में उनके ग्रुप से देशभर के 20 हजार लोग जुड़ चुके हैं। वे कहते हैं, हालात परेशान कर देने वाले हैं, इसलिए हमने तंत्र के साथ जन को जोड़ा है। जैसे ही किसी को मदद करने का मैसेज ग्रुप पर आता है, हम सभी फौरन उस तक मदद पहुंचाने की कोशिशें शुरू कर देते हैं। ज्यादातर मामलों में एक-दो घंटे के भीतर मदद मिल ही जाती है। हम लोगों को इंजेक्शन, एंबुलेंस, बेड, वैक्सीन और दवा मुहैया करवाने का काम कर रहे हैं। बहुत से लोगों की पैसे की पेशकश को हमने नकार दिया है। वजह साफ है कि हमें अपने संपर्क से लोगों तक मदद पहुंचानी है, इसमें पैसा जुड़ा तो मकसद पूरा नहीं हो सकेगा। अब हम हर राज्य में एक-एक प्रतिनिधि नियुक्त कर रहे हैं, ताकि वहां ऐसे सबग्रुप बनाए जा सकें।
रविंद्र सिंह क्षत्री और अरविंद सोनवानी
कार बनी एंबुलेंस
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के दो युवाओं ने नई मिसाल पेश की है। रविन्द्र सिंह क्षत्री और अरविंद सोनवानी ने एंबुलेंस की कमी से जूझते लोगों के लिए प्राइवेट कार को ही एंबुलेंस बना दिया। इसके लिए उनके दोस्त प्रमोद साहू ने अपनी कार मुहैया कराई। उसके बाद से दोनों ने मिलकर 10 दिनों में 50 से ज्यादा गंभीर रूप से बीमार मरीजों को यह सेवा दी है। रायपुर में अगर किसी कोरोना मरीज को एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है, तो रविन्द्र और अरविंद सुबह से लेकर रात तक उन्हें अस्पताल ले जाने का काम कर रहे हैं। यही नहीं, यह काम वे मुफ्त में कर रहे हैं।
राघव पाल मंडल
मुफ्त में खाना पहुंचाते हैं
राघव पाल मंडल ने दिल्ली के खान मार्केट, लाजपत नगर, ग्रेटर कैलाश, मालवीय नगर और सफदरजंग एन्क्लेव सहित दूसरे इलाके में अपनी संस्था यूथ वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से लोगों को खाना पहुंचाने का काम शुरू किया है। पिछले 13 दिनों में उनकी टीम प्रतिदिन 90 से ज्यादा परिवारों को खाना पहुंचा रही है। इसमें होम आइसोलेशन में रह रहे लोगों को सर्विस दी जा रही है। उनकी टीम में करीब 37 लोग काम कर रहे हैं। जिन लोगों को खाने की जरूरत होती है, उन्हें वे मुफ्त में खाना पहुंचाते हैं। इसके तहत वे ऐसे लोगों की मदद कर रहे हैं जो अपने परिवार से दूर हैं या फिर जिनका पूरा परिवार संक्रमित होने के चलते होम आइसोलेशन में है। उन्होंने यह आइडिया उस समय आया जब उन्होंने पाया कि ऐसे बहुत लोग हैं जो कोविड-19 पॉजिटिव होने की वजह से खाना बनाने की स्थिति में नहीं हैं।
(इनपुट- हरीश मानव, शमशेर सिंह, नवीन कुमार मिश्र, अक्षय दुबे साथी)