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13 October 2022

माकपा ने सरकार पर देश में हिन्दी थोपने का लगाया आरोप, संसद की एक रिपोर्ट का दिया हवाला

प्रतिकात्मक फोटो (ANI)

मार्क्स वादी कांग्रेस पार्टी (माकपा) ने केन्द्र सरकार पर हिंदी को देश की राजभाषा बनाने और जबरन थोपने का प्रयास करने का आरोप लगाया। सरकार पर आरोप लगाते हुए माकपा ने गुरुवार को कहा कि संसद की राजभाषा समिति की हालिया रिपोर्ट इसका जीता जागता उदाहरण है।

पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेमोक्रेसी के नवीनतम संपादकीय में दावा किया गया है कि यदि गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली संसद की राजभाषा समिति की सिफारिशों को लागू किया जाता है, तो इसका मतलब यह होगा कि गैर-हिंदी पृष्ठभूमि के छात्रो को भी इसमें अर्हता प्राप्त करनी होगी।

पार्टी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इससे समस्या का समाधान नहीं होगा क्योंकि हिंदी भाषी राज्यों में केंद्रीय विश्वविद्यालय या आईआईटी केवल उन छात्रों को प्रवेश देंगे जिनको हिन्दी आती हैं। यह उन लोगों के साथ स्पष्ट रूप से भेदभावपूर्ण होगा जिनकी मातृभाषा हिंदी नहीं है।

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संपादकीय में आगे कहा गया है कि एक लोकतांत्रिक भाषा नीति की आवश्यकता है कि आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सभी 22 भाषाओं को राष्ट्रीय भाषाओं के रूप में समान आधार पर माना जाए। 

संपदाकीय में कहा गया कि, "अमित शाह लगातार इस विचार को आगे बढ़ा रहे हैं। यह आरएसएस के 'एक राष्ट्र, एक भाषा, एक संस्कृति' के नारे के अनुरूप है। भारत जैसे बहुभाषी, बहु-सांस्कृतिक, विविध देश में, हिंदी को थोपने के प्रयासों से केवल कलह और फूट ही पैदा होगी।" 

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TAGS: CPI(M), Indian Government, Hindi, Official language, imposing
OUTLOOK 13 October, 2022
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