मुहर्रम पर कश्मीर के कई हिस्सों में कर्फ्यू जैसी पाबंदी, जुलूस निकालने की इजाजत नहीं
श्रीनगर समते कश्मीर के कई हिस्सों में कर्फ्यू जैसी पाबंदियों को मंगलवार को फिर से लागू कर दिया गया। घाटी में मोहर्रम के दौरान जुलूस निकालने की भी अनुमति नहीं है। आधिकारियों का मानान है कि बड़ी सभाओं से हिंसा भड़क सकती है।
अधिकारियों ने कहा कि लाल चौक और आस-पास के इलाकों के वाणिज्यिक केंद्रों के सभी एंट्री प्वाइंट पर कंसर्टिना के तार लगाकर पूरी तरह से सील कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि घाटी में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियात के तौर पर कश्मीर के कई हिस्सों में प्रतिबंध है।
अधिकारियों ने प्रतिबंधों के दोबारा लगाए जाने के लिए किसी भी कारण का हवाला नहीं दिया। लेकिन माना जाता है कि शहर और अन्य जगहों पर मुहर्रम के जुलूसों को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। इससे पहले सशस्त्र विद्रोह शुरू होने पर 1990 से कश्मीर में जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
मुहर्रम को चांद पर आधारित इस्लामिक कैलेंडर के पवित्र महीनों में से एक माना जाता है। कर्बला की लड़ाई जिसमें हजरत इमाम हुसैन (पैगंबर के पोते) ने शहादत प्राप्त की थी कहा जाता है कि ये शहातत 7 वीं शताब्दी में हुई थी।
सोपोर में लश्कर ए तैयबा के 8 आतंकी गिरफ्तार
बारामुला जिले के सोपोर इलाके में लश्कर-ए-तैयबा के आठ आतंकवादियों को गिरफ्तार किया गया। खुफिया एजेंसियों ने गिरफ्तार किए गए लोगों से कड़ी पूछताछ शुरू कर दी। कश्मीर में एजेंसियों से मिले इनपुट के बाद कार्रवाई करते हुए सेना और पुलिस ने बारामुला जिले में लश्कर से जुड़े आठ आतंकियों को गिरफ्तार किया है।
सोपोर के डंगेरपोरा इलाके में तीस महीने के बच्चे समेत चार लोगों पर आतंकवादियों द्वारा गोली चलाने के दो दिन बाद यह घटना सामने आई है। पुलिस ने हमले को आतंकवाद का निर्दयतापूर्ण कार्य करार दिया था। उत्तरी कश्मीर के बारामुला जिले में सोमवार को सेना और पुलिस की एक संयुक्त कार्रवाई में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के एक बड़े मॉड्यूल को ध्वस्त किया।
पाबंदियों का 37वां दिन
मंगलवार को कश्मीर में पाबंदियों का 37वां दिन है। प्रतिबंधों को पहली बार कश्मीर में 5 अगस्त को लगाया गया जब केंद्र ने धारा 370 के प्रावधानों को निरस्त करने और राज्य को केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के अपने फैसले की घोषणा की। समय बीतने के साथ स्थिति में सुधार होने के बाद घाटी के कई हिस्सों से प्रतिबंधों को हटा लिया गया। वहीं अधिकारी हर शुक्रवार को घाटी के संवेदनशील क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाते रहे हैं। उनका मानना है कि निहित स्वार्थी तत्व बड़ी मस्जिदों और धार्मिक स्थलों पर बड़े समारोहों के दौरान विरोध कर सकते हैं।
इस बीच घाटी में बंद के कारण कश्मीर में आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ। अधिकांश शीर्ष-स्तर और दूसरे-रेंग अलगाववादी नेताओं को हिरासत में ले लिया गया है, जबकि मुख्यधारा के नेताओं तीन पूर्व मुख्यमंत्री- फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को भी नजरबंद रखा गया है।