पांच दिवसीय चीन यात्रा पर आज रवाना होंगे मनोहर पर्रिकर
रक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पर्रिकर की इस यात्रा का जोर जोर दोनों सेनाओं के बीच संबंधों को मजबूती प्रदान करना और सीमा मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने पर होगा। पर्रिकर की चीन यात्रा हाल ही में गोवा और नई दिल्ली में अमेरिकी रक्षा सचिव एश्टन कार्टर के साथ हुई उनकी बैठकों के ठीक बाद हो रही है जिनमें भारत और अमेरिका ने रक्षा संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ करते हुए साजोसामान सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किया। कार्टर की यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच एशिया प्रशांत क्षेत्र में नवपरिवहन और हवाई उड़ानों की स्वतंत्रता पर सहमति बनी, जो कि ऐसा बिंदु हैं जिस पर चीन में असहजता हो सकती है।
पर्रिकर की यह चीन यात्रा पिछले तीन सालों में किसी भारतीय रक्षा मंत्री की पहली चीन यात्रा होगी। इससे पहले यूपीए सरकार में रक्षा मंत्री ए के एंटनी ने 2013 में चीन की यात्रा की थी। पर्रिकर की चीन यात्रा से पहले चीन के शीर्ष रक्षा अधिकारियों की भारत की उच्च स्तरीय यात्रा हो चुकी हैं जिसमें केन्द्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के उपाध्यक्ष जनरल फान चांगलांग की गत वर्ष हुई यात्रा भी शामिल है। भारत और चीन को अभी अपने सीमा विवादों का निपटारा करना है क्योंकि दोनों देशों का लगभग समस्त सीमा क्षेत्र विवादित है।
भारत और चीन ने सीमा मुद्दे का हल खोजने के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के तहत एक वार्ता तंत्र का गठन किया है। इसके साथ ही दोनों देशों ने विवादास्पद सीमा के आक्रामक गश्त से उत्पन्न होने वाले तनाव के समाधान के वास्ते एक मशविरा एवं समन्वय के लिए कार्यकारी तंत्र भी शुरू किया है।अभी तक विशेष प्रतिनिधि 18 दौर की बातचीत कर चुके हैं। दोनों देशों ने अपने अधिकारियों के बीच नियमित बातचीत के लिए और सीमा बिंदु खोले हैं। पर्रिकर की यात्रा के दौरान उम्मीद है कि भारत और चीन सीमा विवाद को सुलझाने के उपाय पर जोर देंगे।