नोटबंदी का असर, नक्सली भी अपनी वसूली की रकम भुनाने के फेर में
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित राजनांदगांव जिले में वर्ष, 2014 के मार्च महीने में पकड़े गए नक्सलियों की निशानदेही पर जंगल में डंप किए गए गड्ढे से 29 लाख रुपये बरामद किए गए थे। वहीं पुलिस ने इस वर्ष मई महीने में गरियाबंद जिले में मुठभेड़ के बाद घटनास्थल से आठ लाख रुपये बरामद किए थे जबकि जुलाई महीने में सुकमा जिले में नक्सलियों से एक लाख रुपये बरामद किया गए थे। नक्सलियों से बरामद यह पैसा राज्य में विभिन्न जगहों से उगाही किए गए पैसों का ही हिस्सा है। तथा यह पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों की सूरत में है।
छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के मुताबिक नक्सली राज्य से प्रति वर्ष लगभग डेढ़ हजार करोड़ रुपये की उगाही करते हैं। यह उगाही खदानों से, विभिन्न उद्योगों से, तेंदूपत्ता और सड़क ठेकेदारों से, परिवहन व्यवसायियों से, लकड़ी व्यापारियों से और अन्य स्थानों से की जाती है। यह पैसा नक्सली अपने वरिष्ठ नेताओं को भेजते हैं जहां से अलग-अलग जगहों पर विभिन्न मदों में खर्च के लिए दिया जाता है।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक उगाही के इस पैसे का उपयोग हथियार, गोलियां और गोला बारूद खरीदने में, रोजमर्रा की वस्तुएं खरीदने में तथा दवाइयों और अन्य सामानों की खरीद में खर्च किया जाता है। पैसे को विभिन्न कमांडरों को दिया जाता है ताकि वे इसे समय समय पर खर्च कर सकें। अधिकारियों के मुताबिक नक्सली ज्यादातर धन जमीन में गाड़कर रखते हैं और बड़े मूल्य के नोट होने की वजह से यह पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट के रूप में ही है। केंद्र सरकार द्वारा जब पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट का चलन अचानक बंद करने का फैसला किया गया, तब नक्सलियों द्वारा जंगल में गाढ़कर रखा गया धन बर्बाद हो गया और इसका कोई मूल्य नहीं रह गया। इसका असर अब नक्सली गतिविधियों पर पड़ेगा।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट का चलन बंद होने के बाद नक्सलियों को हथियार की खरीदी, राशन का इंतजाम और अन्य सामानों की खरीदी में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। राज्य के नक्सल मामलों के विशेष महानिदेशक डी.एम. अवस्थी ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली है कि डंप किए गए नोटों के अचानक चलन से बाहर होने के बाद नक्सली अब बौखलाए हुए हैं और वह आने वाले समय में एटीएम, बैंक, पोस्ट आफिस और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को निशाना बना सकते हैं। इस आशंका के बाद नक्सल प्रभावित जिलों समेत सभी जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को पत्र लिखकर बल को सतर्क रखने तथा ऐसे प्रतिष्ठानों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कहा गया है।
अवस्थी ने बताया कि पांच सौ और एक हजार रुपये के नोट के चलन से बाहर होने के बाद नक्सली अब डंप में रखे गए पैसों को भुनाने की कोशिश करेंगे। पुलिस को ऐसी स्थिति पर भी नजर रखने के लिए कहा गया है तथा संदिग्ध व्यक्तियों पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। राज्य के नक्सल प्रभावित कोंडागांव जिले में शुक्रवार को एक व्यक्ति से लगभग 45 लाख रुपये नगद बरामद किया गया है। उससे भी पूछताछ की जा रही है।
बस्तर क्षेत्र के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि नक्सलियों को अब पैसों की कमी हो सकती है तथा उनके डंप में रखे गए पैसों के खराब होने के बाद उनकी गतिवधियों पर भी असर हो सकता है। ऐसे में उनके खिलाफ प्रभावी अभियान चलाने की तैयारी है। (एजेंसी)