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19 February 2020

चुनाव आयोग का सरकार को सुझाव, चुनाव में गलत हलफनामा दायर करना सदस्यता समाप्ति का बने आधार

चुनाव आयोग ने सरकार के साथ चुनाव सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की एक बार फिर पहल की है। आयोग ने प्रत्याशियों द्वारा गलत हलफनामा देने और फर्जी खबरों के प्रसार को निर्वाचन प्रक्रिया दूषित करने वाले अपराध की श्रेणी में रखने का प्रस्ताव दिया है जिससे निर्वाचित होने के बाद दोषियों की सदस्यता समाप्त की जा सके।

चुनाव सुधार को लेकर मंगलवार को कानून मंत्रालय में सचिव जी नारायण राजू के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा की बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा की गई। आयोग द्वारा जारी बयान के मुताबिक, बैठक में प्रत्याशियों के गलत हलफनामे और फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के अलावा मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के मुद्दे पर भी विचार किया गया।

गौरतलब है कि आयोग ने हाल ही में कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने के लिये जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों में संशोधन का अनुरोध किया था। आयोग की दलील है कि एक ही मतदाता के एक से ज्यादा मतदाता पहचान पत्र बनवाने की समस्या के समाधान के लिये इसे आधार से जोड़ना ही एकमात्र विकल्प है।

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उम्र संबंधी प्रावधानों में भी बदलाव का सुझाव

सूत्रों के अनुसार मंत्रालय ने आयोग की इस दलील से सहमति जताते हुये आधार के डाटा को विभिन्न स्तरों पर संरक्षित करने की अनिवार्यता का पालन सुनिश्चित करने को कहा है। बैठक में आयोग ने मतदाता बनने की अर्हता के लिये उम्र संबंधी प्रावधानों में भी बदलाव का सुझाव दिया है। मौजूदा व्यवस्था में प्रत्येक साल की एक जनवरी तक 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने वालों को मतदाता बनने का अधिकार मिल जाता है। आयोग ने उम्र संबंधी अर्हता के लिये एक जनवरी के अलावा साल में एक से अधिक तारीखें तय करने का सुझाव दिया है।

40 लंबित प्रस्तावों की भी दिलायी याद

बयान के मुताबिक, अरोड़ा ने विधि मंत्रालय के अधिकारियों को चुनाव सुधार संबंधी आयोग के लगभग 40 लंबित प्रस्तावों की भी याद दिलायी। ये प्रस्ताव पिछले कई सालों से लंबित हैं। इनमें सशस्त्र बल और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल के कर्मियों के लिए निर्वाचन नियमों को लैंगिक आधार पर एक समान बनाने का प्रस्ताव भी शामिल है। इसके अंतर्गत आयोग ने महिला सैन्यकर्मियों के पति को भी सर्विस वोटर का दर्जा देने के लिये जनप्रतिनिधित्व कानून में बदलाव के लंबित प्रस्ताव पर अमल करने का अनुरोध किया है। मौजूदा व्यवस्था में सैन्यकर्मियों की पत्नी को सर्विस वोटर का दर्जा मिलता है लेकिन महिला सैन्यकर्मी के पति को यह दर्जा देने का कोई प्रावधान नहीं है।

गलत हलफनामा पेश करने पर दिया प्रस्ताव

कानून में इस आशय के संशोधन से जुड़ा विधेयक पिछली लोकसभा में पारित नहीं हो पाने के कारण निष्प्रभावी हो गया था। सरकार के लिये मौजूदा लोकसभा में नये विधेयक को पेश करने की आवश्यकता होगी। उल्लेखनीय है कि आयोग के प्रशासनिक मामले सीधे तौर पर कानून मंत्रालय के तहत आते हैं। चुनाव में गलत हलफनामा पेश करने के बारे में मौजूदा व्यवस्था में दोषी ठहराये जाने पर प्रत्याशी के खिलाफ आपराधिक कानून के तहत धोखाधड़ी का ही मामला दर्ज होता है। आयोग ने गलत हलफनामा देकर चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार की सदस्यता समाप्त करने का प्रस्ताव दिया है।

विधान परिषद के चुनाव में भी चुनाव प्रचार खर्च की सीमा तय करने का प्रस्ताव

एक अन्य प्रस्ताव में चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव की तर्ज पर विधान परिषद के चुनाव में भी चुनाव प्रचार खर्च की सीमा तय करने की पहल की है। इसके साथ ही आयोग ने मंत्रालय से मुख्य चुनाव आयुक्त की तर्ज पर दो चुनाव आयुक्तों को भी संवैधानिक संरक्षण देने के पुराने प्रस्ताव पर विचार करने का अनुरोध किया है। उल्लेखनीय है कि विधि मंत्रालय के अनुमोदन पर मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त को संसद द्वारा महाभियोग के माध्यम से ही पद से हटाया जा सकता है। जबकि चुनाव आयुक्तों को राष्ट्रपति, मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश पर हटा सकते हैं। विधि आयोग ने मार्च 2015 में चुनाव सुधारों पर पेश अपनी रिपोर्ट में दोनों चुनाव आयुक्तों को भी संवैधानिक संरक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव दिया था।

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TAGS: Election Commission, fresh push, electoral reforms, Law Ministry
OUTLOOK 19 February, 2020
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