28 July 2016
महाश्वेता देवी नहीं रहीं
महाश्वेता देवी सिर्फ लेखिका नहीं थीं। वह प्रतिबद्धता के साथ समाज से भी जुड़ी हुई थीं। वह कहती थीं, मैं समाज सेविका नहीं समाज के प्रति चिंता रखने वाली आम नागरिक हूं।
इस मशहूर बांग्ला लेखिका को उनकी कई पुस्तकों और लेखों के साथ आदिवासियों के हक के लिए आवाज उठाने वाली सहृदय व्यक्ति के रूप में भी जाना जाएगा। उनके उपन्यास हजार चौरासी की मां पर फिल्म बनने के साथ-साथ पूरे भारत में इस पर आधारित नाटक भी खेले गए हैं। उन्होंने इस उपन्यास में एक मां और अपराधी घोषित कर बेटे की कहानी बहुत ही दारुण तरीके से रखा था।