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17 December 2020

किसान आंदोलन: सुप्रीम कोर्ट की सलाह- कृषि कानूनों को स्थगित करे सरकार, रास्ता निकालना होगा आसान

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। वहीं किसानों को सड़कों से हटाने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की बेंच में आज फिर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से कहा कि कृषि कानूनों को होल्ड करने की संभावना तलाशें।


शीर्ष अदालत ने कहा कि वो किसानों के प्रदर्शन करने के अधिकार को स्वीकार करती है और वो किसानों के 'राइट टू प्रोटेस्ट' के अधिकार में कटौती नहीं कर सकती है। सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने कहा कि 'हमें यह देखना होगा कि किसान अपना प्रदर्शन भी करे और लोगों के अधिकारों  का उलंघन भी न हो।'वहीं सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को लेकर सुनवाई अभी टल गई है। कोर्ट में किसी किसान संगठन के ना होने के कारण कमेटी पर फैसला नहीं हो पाया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि वो किसानों से बात करके ही अपना फैसला सुनाएंगे। आगे इस मामले की सुनवाई दूसरी बेंच करेगी। सुप्रीम कोर्ट में सर्दियों की छुट्टी है, ऐसे में वैकेशन बेंच ही इसकी सुनवाई करेगी।


अदालत ने कहा कि किसान हिंसा को बढ़ावा नहीं दे सकते। न ही किसी शहर को ब्लॉक कर सकते हैं। दिल्ली को जाम करने से लोगों को भूखा रहना पड़ सकता है। आपका मकसद बातचीत से पूरा हो सकता है, सिर्फ धरने पर बैठने से काम नहीं चलेगा।विरोध प्रदर्शन तब तक संवैधानिक है, जब तक कि इससे संपत्ति को नुकसान नहीं हो या किसी की जान को खतरा नहीं हो। केंद्र और किसानों को बात करनी चाहिए। हम इसमें मदद कर सकते हैं। हम निष्पक्ष और स्वतंत्र कमेटी बनाने पर विचार कर रहे हैं, जिसके सामने दोनों पक्ष अपनी बात रख सकें।

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सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि उनमें से कोई भी फेस मास्क नहीं पहनता है, वे बड़ी संख्या में एक साथ बैठते हैं। कोविड-19 एक चिंता का विषय है, वे गांव जाएंगे और वहां कोरोना फैलाएंगे। किसान दूसरों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते। इस पर मुख्य न्यायधीश ने कहा कि दिल्ली को ब्लॉक करने से यहां के लोग भूखे रह सकते हैं। आपका(किसानों) मकसद बात करके पूरा हो सकता है। सिर्फ विरोध प्रदर्शन पर बैठने से कोई फायदा नहीं होगा।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को संकेत दिया कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों और सरकार के बीच व्याप्त गतिरोध दूर करने के लिये वह एक समिति गठित कर सकता है क्योंकि ‘‘यह जल्द ही एक राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है।’’ 

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TAGS: किसान आंदोलन, सुप्रीम कोर्ट, कृषि कानून, किसान, मोदी सरकार, Farmers' Protest, Supreme Court, New Farm Laws, Modi government
OUTLOOK 17 December, 2020
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