स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया को मंगलवार को जमानत मिल गई है। 25 हजार के निजी मुचलके दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है। मंदीप को पुलिस ने सिंघु बॉर्डर किसान प्रदर्शन स्थल से गिरफ्तार किया था। यहां पर देशभर के किसान लंबे समय से केंद्र के तीनों कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। पुलिस ने मनदीप पुनिया को आईपीसी की धारा 186, 353 और 332 सहित विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर गिरफ्तार किया था। इसको लेकर पत्रकारों ने कड़ा विरोध किया था और दिल्ली पुलिस कार्यालय पर प्रदर्शन किया था। सुनवाई के दौरान, मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट सतवीर सिंह लांबा ने देखा कि शिकायतकर्ता, पीड़ित और गवाह सभी पुलिस कर्मचारी हैं। न्यायाधीश ने कहा, "इसलिए, इस बात की कोई संभावना नहीं है कि आरोपी / आवेदक किसी भी पुलिस अधिकारी को प्रभावित कर सकता है।"
द कारवां मैगजीन के लिए स्वतंत्र पत्रकारिता करने वाला पुनिया सिंघु बार्डर पर किसानों के विरोध प्रदर्शन को कवर कर रहे थे। तभी दिल्ली पुलिस ने विरोध स्थल पर एक अधिकारी के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार करने के आरोप में उन्हें हिरासत में ले लिया गया था। जिसके बाद उन्हें कोर्ट ने चौदह दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि पुनिया प्रदर्शनकारियों के साथ खड़े थे और उनके पास प्रेस कार्ड भी नहीं था। वह बैरिकेड्स के माध्यम से उस पार जाने की कोशिश कर रहे थे। उसके बाद पुलिस कर्मियों और पुनिया के बीच विवाद शुरू हो गया। जिसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया। अपनी नजरबंदी से पहले पुनिया ने फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें सिंघु बॉर्डर पर हुई हिंसा के बारे में एक निजी अकाउंट बताया गया। उन्होंने कहा था कि कैसे समूहों ने किसान विरोधी नारे लगाए, पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में सभी ने विरोध स्थल पर पथराव किया। उन्होंने किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान गणतंत्र दिवस पर होने वाले कार्यक्रमों के बारे में भी बताया।