गजेंद्र फांसी में कुमार विश्वास को नापने की तैयारी ?
दिल्ली पुलिस से जुड़े सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, गजेंद्र सिंह की मौत के सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने दौसा जाकर उससे जुड़े लोगों से पूछताछ की है। माना जा रहा है कि इस मामले में पुलिस को दो अहम गवाह मिले हैं जो गजेंद्र की मौत के बारे में अहम जानकारी दे सकते हैं। पुलिस ऐसे सबूत जुटा रही है जिसमें यह पता चल सके कि आखिर गजेंद्र सिंह को पेड़ पर चढ़ने और खुदकुशी की चेतावनी देने के लिए किसने उकसाया। इस मामले में यह वीडियो फुटेज भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, जिसमें कुमार विश्वास को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया है, देखा, वह लटक गया। हालांकि, इस मामले में दिल्ली पुलिस का कोई भी अधिकारी सामने आने को तैयार नहीं है लेकिन कुछ अधिकारियों का दावा है कि लोगों के उकसाने के बाद ही गजेंद्र पेड़ पर चढ़ा और खुदकुशी का नाटक करने लगा। लेकिन चूक की वजह से पैर फिसल जाने से उसके गले में फंदा कस गया।
माना जा रहा है कि दिल्ली पुलिस ने गजेंद्र के गांव स॓ दो गवाहों कमल सिंह वाल्मीकि और दशरथ सिंह को इस मामले में गवाही के लिए तैयार किया है। हालांकि, गजेंद्र के परिजनों और गांव के लोगों का कहना है कि कमल और दशरथ सिंह को तो वे लोग जानते ही नहीं है। इसमें एक गवाह दिल्ली का तो दूसरा मेवात का रहने वाला है। दोनों गवाहों से जब कुछ मीडियाकर्मियों ने सवाल किया तो दोनों कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। जबकि इन दोनों गवाहों का कहना है कि वे गजेंद्र को पहले से जानते थे। सूत्र बताते हैं कि दोनों गवाहों के पास कोई मोबाइल नंबर भी नहीं था जिससे यह पता लग सके कि ये दोनों रैली के वक्त जंतर-मंतर पर मौजूद थे या नहीं। यानी इन गवाहों की विश्वसनीयता पर ही सवाल उठ सकते हैं।
मामले की जांच कर रहे अपराध शाखा के अधिकारियों का दावा है कि उन्हें कुछ ऐसे सबूत और गवाह मिले हैं जिससे आम आदमी पार्टी के कुछ बड़े नेताओं पर शक जा रहा है। अपराध शाखा ने कुछ समाचार चैनलों से असंपादित फुटेज भी मंगवाई है जो इस बात की पुष्टि कर रहे हैं कि आप नेताओं को पेड़ पर हो रही गतिविधियों का अंदाजा था इसके बावजूद किसी ने रोकना जरूरी नहीं समझा। हालांकि, इस प्रकरण में खुद दिल्ली पुलिस की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। रैली वीडियो फुटेज में साफ दिख रहा है कि जब गजेंद्र पेड़ पर चढ़ा तो दिल्ली पुलिस भी वहां मूकदर्शक बनी हुई थी। यहां तक कि उसके फांसी लगाने के बाद भी रैली में मौजूद कार्यकर्ताओं ने उसे पेड़ से उतराने में ज्यादा मुस्तैदी दिखाई। पुलिस की ओर से बरती गई इस शिथिलता पर भी सवालिया निशान लग रहे हैं। अगर आम आदमी पार्टी के नेता सब देख रहे थे तो पुलिस भी तो वहां मूकदर्शक बनी रही। कुल मिलाकर इस मामले में कई पेच हैं जिनका जवाब देने से दिल्ली पुलिस के अधिकारी भी कतरा रहे हैं।