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12 December 2017

दागी नेताओं के खिलाफ मामले के निपटारे के लिए बनेंगी विशेष अदालतें

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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि दागी नेताओं के खिलाफ मामलों के निपटारों के लिए देशभर में 12 विशेष अदालतें गठित करने का फैसला किया है ताकि लंबित पड़े 1571 आपराधिक मामलों में शीघ्र सुनवाई हो सके।

मंगलवार को कानून एवं न्याय मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी रीता वशिष्ठ ने सुप्रीम कोर्ट में अपने हलफनामे कहा कि इस योजना से अदालत को एक साल के लिए यह संवैधानिक विशेषाधिकार दिया जाएगा। विशेष अदालतें उन 1581 मामलों की सुनवाई करेंगी  जिनका उम्मीदवारों ने 2014  के लोकसभा चुनाव और आठ विधानसभा चुनाव में अपना हलफनामा दाखिल करते हुए जिक्र किया था। वित्त मंत्रालय ने कोर्ट के लिए  7.8 करोड़ रूपये की मंजूरी दी है।

हलफनामा सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद दिया गया है जिसमें एक नवंबर को अदालत ने केन्द्र सरकार से आपराधिक केसों में फंसे राजनेताओं के खिलाफ मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट गठन का रोडमैप तैयार करने का आदेश दिया था। एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय की तरफ से दायर किए गए मुकदमे पर यह सुनवाई हो रही है जिसमें जिसमें दोषी नेताओं को जिंदगी भर चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की गई है। मौजूदा समय में अगर किसी सांसद या विधायक को दो वर्ष या उससे ज्यादा की सज़ा होती है तो फौरन उसकी संसद या विधान सभा सदस्यता चली जाएगी। साल 2013 के अदलती फैसले के बाद कोई भी दोषी नेता सज़ा खत्म होने की तारीख से अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकता है।

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जिन 51 जनप्रतिनिधियों ने अपने हलफनामे में महिलाओं के खिलाफ अपराध की बात स्वीकार की है उनमें से  तीन सांसद और 48 विधायक हैं। 334  ऐसे उम्मीदवार थे जिनके खिलाफ महिलाओं के प्रति अपराध के मुकदमे दर्ज हैं और उन्हें मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों ने टिकट दिया था। हलफनामे  से यह बात सामने आई कि आपराधिक छवि वाले सबसे ज्यादा सांसद और विधायक महाराष्ट्र में हैं, जहां ऐसे लोगों की संख्या 12 थी। दूसरे और तीसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल और उड़ीसा हैं।

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TAGS: supreme court, tinted leaders, fast track, विशेष अदालत, सुप्रीम कोर्ट, दागी नेता
OUTLOOK 12 December, 2017
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