चारा घोटाला: लालू यादव को सुप्रीम कोर्ट से झटका, हर केस में होगा अलग-अलग ट्रायल
इस मामले में जगन्नाथ मिश्रा का भी ट्रायल का सामना करना होगा। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि यह मुकदमा ट्रायल कोर्ट द्वारा नौ महीने के भीतर पूरा किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में लालू यादव पर इस मामले में आपराधिक साजिश का केस चलाने की अनुमति दी है। इस मामले में लालू यादव समेत 45 अन्य नेताओं पर केस चलेंगे। लालू यादव की ओर से राम जेठमलानी पेश हुए थे और केस खारिज करने की मांग की थी। वहीं कोर्ट ने सीबीआई को भी मामले में देरी करने पर फटकार लगाई।
सीबीआई ने अपनी याचिका में झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा लालू प्रसाद यादव के खिलाफ आरोपों को हटाने का विरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाई कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया है जिसमें उसने लालू के ख़िलाफ़ चारा घोटाले में आपराधिक साजिश की जांच खत्म कर दी थी। हाई कोर्ट ने तब तर्क दिया था कि जिस व्यक्ति को दोषी ठहरा दिया गया है या बरी कर दिया गया है, उसे फिर से उसी मामले में जांच के दायरे में नहीं लाया जा सकता है। झारखंड हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई ने 2014 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। लालू प्रसाद को एक मामले में दोषी ठहराया गया है और वह जमानत पर बाहर है।
क्या है चारा घोटला?
गौरतलब है कि चारा घोटाला 1990 के बीच में बिहार के पशुपालन विभाग से जुड़ा हुआ मामला है। इस दौरान लालू बिहार के मुख्यमंत्री थे। लगभग 950 करोड़ के चारा घोटाले के मामले में लालू प्रसाद यादव के अलावा बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र, जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा समेत 45 आरोपी हैं। इस सभी पर चाईबासा कोषागार से 37.7 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का आरोप है। चारा घोटाला 1990 से लेकर 1997 के बीच बिहार के पशुपालन विभाग में अलग-अलग जिलों में लगभग 1,000 करोड़ रुपये के गबन से जुड़ा है।