दो फरवरी से जयललिता के खिलाफ मामले की रोजाना सुनवाई
इसके साथ ह उच्चतम न्यायालय 15 जनवरी को निर्णय करेगा कि आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति के मामले में किन बिंदुओं पर विचार करना है। कर्नाटक सरकार ने जयललिता को आय से अधिक संपत्ति के मामले में बरी करने के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 8 जनवरी को होगी।
गौरतलब है कि इसी वर्ष मई में कर्नाटक हाईकोर्ट ने आय से ज्यादा संपत्ति के 19 साल पुराने मामले में जयललिता को बरी कर दिया था। हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति सी.आर. कुमारस्वामी ने अपने फैसले में कहा कि जयललिता की आय से अधिक संपत्ति 8.12% थी। यह 10% से कम है जो स्वीकार्य सीमा में है। फैसले में कहा गया था कि यह साबित नहीं होता कि जयललिता ने अचल संपत्तियां काली कमाई से खरीदी हैं। उनके आय के स्रोत वैध पाए गए हैं। अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कृष्णानंद अग्निहोत्री केस का हवाला दिया था जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने आय से 10 फीसदी अधिक संपत्ति को स्वीकार्य सीमा माना था। वैसे कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले की इस मामले से जुड़े विभिन्न पक्षा ने कड़ी आलोचना की थी और कहा था कि अभियोजन पक्ष को अपनी बात ठीक से रखने का पूरा मौका नहीं दिया गया था। मामले में स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर बी.वी. आचार्य ने हाईकोर्ट के फैसले से नाखुशी जताई थी। आचार्य ने सोमवार को फैसले के बाद कहा, ‘कर्नाटक सरकार इस मामले में अकेली प्रॉसिक्यूटिंग एजेंसी थी। लेकिन हाईकोर्ट में हमें दलीलें रखने का उचित मौका नहीं मिला।’