किसान की बेटी से लेकर चार साल के बच्चे की मां तक, UPSC में इन लोगों ने गाड़े झंडे
संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सर्विसेज परीक्षा 2017 के फाइनल नतीजे घोषित किए हैं। इस परीक्षा में हैदराबाद के अनुदीप दुरीशेट्टी ने पहला स्थान हासिल किया है। जबकि दूसरा स्थान पर हरियाणा की रहने वाली अनु कुमारी ने कब्जा किया है। यूपीएससी में सफल होने वाले लोग महज नाम नहीं है बल्कि इनकी सफलताओं के पीछे कई कहानियां, परिस्थितियां, मुश्किलें, हैरानी जैसी कई चीजें मिलती हैं। कहा जाता है कि परिस्थितियां सफलताओं का निर्माण करती है। लेकिन कुछ ऐसे बिरले होते हैं जो हालातों की चुनौतियां स्वीकार कर उसको टक्कर देते हैं। कुछ ऐसी ही कहानियां है यूपीएससी में परचम लहराने वाले इन लोगों की...
5वीं बार में 'सफलता'
हैदराबाद के रहने वाले अनुदीप दुरीशेट्टी ने पहला स्थान किया है। अनुदीप दुरिशेट्टी पहले ही भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं। साल 2013 की यूपीएससी परीक्षाओं में उन्होंने 790वीं रैंक हासिल की थी और भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) को ज्वाइन किया था। अनुदीप ने बिट्स पिलानी कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद वे कुछ दिनों तक गूगल से जुड़े रहे। लेकिन बाद में भारतीय राजस्व सेवा में चयनित होने के बाद उन्होंने गूगल की नौकरी छोड़ दी थी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने पहली बार परीक्षा दी तो वो इंटरव्यू में चूक गए, उसके बाद उन्होंने 2013 में दूसरी बार परीक्षा दी और आईआरएस पद पर चयनित हुए। हालांकि उन्हें आईएएस बनना था और उन्होंने फिर भी अपनी तैयारी जारी रखी। तीसरे और चौथे प्रयास में उन्हें कामयाबी हाथ नहीं लगी और उन्हें पांचवीं बार परीक्षा देने का मन बनाया। यह उनका आखिरी और पांचवां प्रयास था, जिसमें उन्होंने पहला स्थान प्राप्त किया।
चार साल के बच्चे की मां को दूसरा स्थान
दूसरे स्थान पर कब्जा करने वाली हरियाणा की अनु कुमारी को यह कामयाबी पाने के लिए कई मुश्किलों को सामना करना पड़ा है। अनु शादीशुदा है और उनके एक चार साल का बेटा भी है। लेकिन उन्होंने पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए खुद से अपने बच्चे को भी दूर रखा था, जो कि उनके लिए बहुत मुश्किल रहा होगा। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, अनु ने दिल्ली यूनिवर्सिटी की हिंदू कॉलेज से फिजिक्स ऑनर्स में ग्रेजुएशन की है और आईएमटी नागपुर से एमबीए की पढ़ाई की है। यह अनु का दूसरा अटेंप्ट था, जिसमें उन्होंने अपनी सफलता की कहानी लिखी। सिविल सर्विसेज की तैयार करने से पहले अनु नौ साल से एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर रही थीं।
उनका कहना है कि उनकी जॉब अच्छी थी, लेकिन उसमें कोई संतुष्टि नहीं थी। उन्होंने यह नौकरी छोड़नी का फैसला किया और कुछ ऐसा करने की सोची कि जिससे वो समाज के लिए कुछ कर सके। उन्होंने दो साल पहले अपनी नौकरी छोड़ दी और सिविल सर्विसेज की पढ़ाई शुरू कर दी।
किसान की बेटी, सफलता की फसल
मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर की तपस्या परिहार ने यूपीएससी में 23 वीं रैंक हासिल की है। तपस्या के पिता पेशे से एक किसान हैं जो गन्ना किसानों को उचित दाम दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। तपस्या की इस सफलता से क्षेत्र के लोग काफी खुश हैं।
नागरिक अधिकार कार्यकर्ता डॉ. आनंद राय ने ट्वीट किया है, “पिता गाडरवारा/नरसिंहपुर में गन्ना किसानों को उचित दाम दिलाने के लिए लड़ रहे थे, और बच्ची तपस्या यूपीएससी के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही थी, आखिर मेहनत सफल हुई, बधाई उम्मीद है कलेक्टर बन किसानों के हित मे नीतियां बनाएगी।”
पिता गाडरवारा/नरसिंहपुर में गन्ना किसानों को उचित दाम दिलाने के लिए लड़ रहे थे,और बच्ची तपस्या #UPSC के लिए जी तोड़ मेहनत कर रही थी,आखिर मेहनत सफल हुई,बधाई उम्मीद है कलेक्टर बन किसानों के हित मे नीतियाँ बनाएगी @KedarSirohi @VTankha @digvijaya_28 @OfficeOfKN @VIR_VINAYAK pic.twitter.com/tK1VlQOTeK
— Dr.ANAND RAI (@anandrai177) April 27, 2018
15 से 16 घंटे काम...फिर पढ़ाई!
ग्वालियर के आशुतोष श्रीवास्तव को 421वीं रैंक मिली है। पीएससी की तैयारी का जुनून सर पर इस कदर सवार था कि भोपाल में डीएसपी की ट्रेनिंग के समय भी पढ़ाई जारी रखी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2017 में हरदा में डीएसपी पद के लिए उनकी ज्वॉइनिंग हुई थी। यह उनका दूसरा अटैंप्ट था। जॉब के दौरान उन्हें 15 से 16 घंटे की ड्यूटी करनी होती थी। ऐसे में वे रोजाना पढ़ाई के लिए पांच घंटे ही देते थे। इसके अलावा रविवार को पूरे 15 घंटे तैयारी करते थे। उन्होंने बताया कि सेल्फ स्टडी करके भी यूपीएससी जैसी सेवा में सफलता हासिल कर सकते हैं।