गोरखपुर हादसा: केन्द्र सरकार और डीएम की जांच रिपोर्ट में विरोधाभास, 'ऑक्सीजन की कमी' पर एकमत नहीं
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत मामले में दो जांच रिपोर्ट आई है। दोनों की बातें एक दूसरे की विपरीत नजर आ रही है। एक तरफ केन्द्र सरकार द्वारा भेजे गए जांच दल का कहना है कि घटना में हुई बच्चों की मौत को ऑक्सीजन की कमी से नहीं जोड़ा जा सकता है। वहीं जिलाधिकारी की रिपोर्ट में ऑक्सीजन की सप्लाई संबंधित लापरवाही की बात सामने आई है।
जिलाधिकारी की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत मामले की जांच रिपोर्ट को जिलाधिकारी ने सौंप दिया है। जिसमें ऑक्सीजन की सप्लाई संबंधित कई तथ्य सामने आए हैं। सामाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, इसमें ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स और ऑक्सीजन यूनिट के प्रभारी डॉक्टर सतीश को जिम्मेदार ठहराया गया है।
Gorakhpur DM R Rautela's report in child deaths tragedy matter blames firm Pushpa Sales, Principal R.K. Mishra, Anesthesia Dept's Dr. Satish
— ANI UP (@ANINewsUP) 16 August 2017
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रिपोर्ट में कहा गया कि कंपनी ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई रोकने के लिए जिम्मेदार है। ‘जीवन रक्षक कार्य को देखते हुए कंपनी को ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई नहीं बंद करनी चाहिए थी।’ साथ ही जिलाधिकारी की रिपोर्ट में ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी को भुगतान न होने के पीछे वित्तीय अनियमितता करने की मंशा की भी बात की गई है।
केन्द्र सरकार की जांच टीम का दावा
इस मामले में केंद्र सरकार की एक जांच टीम ने बीआरडी अस्पताल का दौरा किया। इस दौरान केंद्र की तीन डॉक्टरों की टीम ने पूरे मामले से जुड़े तथ्यों की जांच की।
केंद्र की ओर से गए तीन सदस्यों के इस दल की प्राथमिक जांच में यह दावा किया गया है कि बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई है। जांच दल के सदस्यों का कहना है कि घटना में हुई बच्चों की मौत को ऑक्सीजन की कमी से नहीं जोड़ा जा सकता है। अंग्रेजी अखबार द हिंदू के अनुसार, गोरखपुर गए जांच दल के सदस्यं दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के पैडीरियाट्रिक विंग के प्रमुख हरीश चेलानी ने बताया कि केस शीट और आंकड़ों की जांच की गई जिसमें ये पता लगा है कि ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत नहीं हुई है।
एक साथ दो तरह की बातें
सरकारी जांच रिपोर्टों में दो तरह की बातें गले नहीं उतर रही है। जहां डीएम की रिपोर्ट में रिपोर्ट में कहा गया कि कंपनी ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई रोकने के लिए जिम्मेदार है। ‘जीवन रक्षक कार्य को देखते हुए कंपनी को ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई नहीं बंद करनी चाहिए थी।’ ऐसे में केन्द्र सरकार की टीम का दावा कि इन मौतों को ऑक्सीजन की कमी से नहीं जोड़ा जा सकता बिल्कुल उलट लगता है।
कार्रवाई का भरोसा
गौरतलब है कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मासूम बच्चों की मौत के बाद वहां के प्रिसिंपल राजीव मिश्रा को सस्पेंड कर दिया गया था। जबकि मिश्रा ने इसके लिए ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी को ही दोषी ठहराया था। इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी भरोसा दिलाया था। ऐसे में अब सवाल उठता है कि जांच रिपोर्ट में अलग-अलग बातों के आधार पर किस तरह कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा।