किसान बैठक: सरकार ने दिए नरमी के संकेत, कानूनों में कर सकती है 3 प्रमुख बदलाव
नए कृषि कानून को लेकर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच करीब आठ घंटे की बैठक हुई। इस बैठक में संगठनों द्वारा उठाए गए कुछ बिंदुओं पर केंद्र सरकार द्वारा विचार करने का भरोसा दिया गया है। वहीं, किसान संगठनों का भी कहना है कि सरकार ने तीनों कृषि सुधार कानूनों में संशोधन के संकेत दिए हैं। हालांकि, वे इन तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
गुरुवार कि बैठक में चालीस किसान नेताओं, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ,खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री मौजूद रहें। अब अगले दौर की वार्ता पांच दिसंबर को दोपहर दो बजे होगी।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पहले की तरह जारी रहेगी। सरकार का कहना है कि वो इस बात पर विचार करेगी कि एमएसपी सशक्त हो और इसका उपयोग और बढ़े। नए कृषि कानून में, एपीएमसी की परिधि के बाहर निजी मंडियों का प्रावधान होने से इन दोनों में टैक्स की समानता के संबंध में भी विचार किया जाएगा। कृषि उपज का व्यापार मंडियों के बाहर करने के लिए व्यापारी का रजिस्ट्रेशन होने के बारे में भी विचार होगा। विवाद के हल के लिए एसडीएम या कोर्ट, क्या व्यवस्था रहे, इस पर विचार किया जाएगा।
हालांकि, तोमर ने किसान संगठनों के सामने नए कृषि कानूनों के बचाव में भी अपनी दलीले दीं। मंत्री ने कहा कि इसमें किसानों को पूर्ण रूप से सुरक्षा प्रदान की गई है। केंद्र ने आश्वासन दिया है कि किसानों के सभी शंकाओं का निवारण करने को सरकार तैयार है।
बैठक खत्म होने के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, "आज किसान यूनियन के साथ भारत सरकार के चौथे चरण की चर्चा पूरी हुई। किसान यूनियन ने अपना पक्ष रखा और सरकार ने अपना पक्ष रखा।" आगे कृषि मंत्री ने इस बात का दावा किया कि दोनों पक्षों के बीच बेहतर बातचीत हुई है। उन्होंने कहा, "आज बहुत अच्छे वातावरण में चर्चा हुई है। किसानों ने बहुत सही से अपने विषयों को रखा है। जो बिंदु निकले हैं उन पर हम सब लोगों की लगभग सहमति बनी है, परसों बैठेंगे तो इस बात को और आगे बढ़ाएंगे।"
वहीं, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार ने एमएसपी पर संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि एमएसपी को लेकर उनका रुख ठीक रहेगा। वार्ता ने थोड़ी प्रगति की है। मुद्दा कानून को वापस लेने का है। मुद्दा केवल एक ही नहीं, बल्कि कई मुद्दों पर चर्चा होगी।" टिकैत ने कहा कि किसान चाहते हैं कि कानूनों को वापस लिया जाए। सरकार एमएसपी और अधिनियमों में संशोधन के बारे में बात करना चाहती है।