प्रणब मुखर्जी की मोदी को चेतावनी, भारी बहुमत वालों को ये नहीं सोचना चाहिए कि वे कुछ भी कर सकते हैं
भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इंडिया फाउंडेशन द्वारा आयोजित दूसरे अटल बिहारी स्मृति व्याख्यान में मोदी सरकार को विपक्ष के साथ चलने की सलाह दी। उन्होंने सरकार को आगाह किया कि भारी बहुमत वाली सरकार सोचती है कि वह कुछ भी कर सकती है, लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए।
मनमानी पर मतदाता देते हैं दंड
मुखर्जी ने कहा, जब भी सरकार ने जनादेश के विपरीत काम किया है, मतदाताओं ने आने वाले चुनावों में उन्हें दंड दिया है। सरकार को लगता है कि संसद में भारी बहुमत होने पर हम कुछ भी कर सकते हैं, लेकिन ऐसा होना नहीं चाहिए। मुखर्जी ने कहा, हो सकता है जनता ने किसी पार्टी को प्रचंड बहुमत दिया हो, लेकिन भारतीय चुनावी इतिहास में वोटर्स ने कभी सिर्फ एक ही पार्टी का समर्थन नहीं दिया है। भारतीय मतदाताओं का यही संदेश साफतौर पर कभी समझा नहीं गया। बहुमत वाली मोदी सरकार को समझाइश देते हुए उन्होंने कहा, “चुनाव में जबरदस्त बहुमत मिलने का मतलब है स्थिर सरकार बनाना है। यही हमारे संसदीय लोकतंत्र का संदेश है। सरकार के साथ-साथ उन्होंने विपक्ष पर भी निशाना साधा और कहा कि बार-बार संसद की कार्यवाही में बाधा डालना खराब है इससे बचने की जरूरत है।
विपक्ष लगाता रहा है सत्ता दुरपयोग का आरोप
मुखर्जी का बयान ऐसे वक्त में आया है जब विपक्षी दल, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर जनादेश के दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं। हालांकि मुखर्जी ने परिसीमन के जरिये लोकसभा में सीटों की संख्या बढ़ाने की मोदी सरकार की योजना का समर्थन किया। आखिरी बार लोकसभा में 1977 सीटें बढ़ाई गई थीं। यह 1971 की जनगणना पर आधारित थी। तब आबादी 55 करोड़ थी। जबकि आज जनसंख्या लगभग दोगुनी है। उन्होंने भी कहा कि लोकसभा में सीटें बढ़ा कर 1,000 की जानी चाहिए और राज्यसभा में भी सीटों की बढ़ोतरी होनी चाहिए।
नए संसद भवन जरूरत नहीं
प्रणब मुखर्जी ने संसद के नए भवन पर भी बात की। उनका मानना है कि नया भवन गैर जरूरी है। उन्होंने कहा, मैं नहीं जानता कि कैसे संसद की नई इमारत संसदीय प्रणाली को सुधारने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि यदि संसद सदस्य बढ़ते हैं तो नए संसद भवन की जगह सेंट्रल हॉल का इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं राज्यसभा को मौजूदा लोकसभा में चलाया जाना चाहिए।