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19 November 2018

गुजरात दंगा: पीएम मोदी को क्लीनचिट के खिलाफ याचिका पर 26 नवंबर तक टली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2002 के गुजरात दंगा मामले में नरेंद्र मोदी को मिली क्लीनचिट को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 26 नवंबर तक के लिए टाल दी है। बीते 13 नवंबर को इस मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया था।

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "मामले में सुनवाई के लिए कुछ समय लगेगा। याचिका 26 नवंबर को सुनी जाएगी।"

शुरुआत में, एसआईटी की ओर से उपस्थित वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि जाकिया की याचिका बनाए रखने योग्य नहीं है और सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ इस मामले में दूसरी याचिकाकर्ता नहीं हो सकती हैं।

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इस पर खंडपीठ ने कहा कि वह जाफरी की याचिका में सीतलवाड़ को दूसरी याचिकाकर्ता बनाने के मामले की सुनवाई से पहले आवेदन को देखेंगे।

मोदी 2002 में गुजरात के मुख्यमंत्री थे। पूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा जाकिया ने विशेष जांच दल (एसआईटी) के फैसले के खिलाफ उनकी याचिका खारिज करने के गुजरात उच्च न्यायालय के पांच अक्टूबर, 2017 के निर्णय को चुनौती दी है। इन दंगों में एहसान जाफरी भी मारे गये थे।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने मंगलवार को कहा कि इस याचिका पर 19 नवंबर को सुनवाई की जायेगी क्योंकि उन्होंने अभी तक इसका विस्तार से अवलोकन नहीं किया है।

संक्षिप्त सुनवाई के दौरान जाफरी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सी यू सिंह ने कहा कि याचिका में नोटिस जारी किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि यह 27 फरवरी 2002 से मई 2002 के बीच की अवधि के दौरान ‘‘बड़े षडयंत्र’’ के पहलू से जुड़ा हुआ है।

उन्होंने कहा कि मामले में सुनवाई न्यायाधीश के समक्ष एसआईटी द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट में क्लीनचिट दी गयी। इसके विरोध में याचिकाकर्ता ने याचिका दायर की लेकिन मजिस्ट्रेट ने ‘‘प्रमाणित तथ्यों ’’ पर विचार किए बिना ही उसे खारिज कर दिया।

मोदी समेत 63 को मिली थी क्लीन चिट

एसआईटी ने आठ फरवरी, 2012 को मामला बंद करने की अपनी रिपोर्ट में नरेन्द्र मोदी तथा 63 अन्य को क्लीन चिट देते हुये कहा था कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने योग्य कोई साक्ष्य नहीं है। इन लोगों में कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी शामिल थे।

"याचिका का विस्तार से अवलोकन नहीं, इसलिए लगेगा समय"

पीठ ने कार्यालय रिपोर्ट की टिप्पणियों पर भी गौर किया कि याचिका को मामले में लंबित आपराधिक अपीलों के साथ संलग्न किया जाना चाहिए। 

गुजरात सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सी एस वैद्यनाथन ने इस सुझाव का विरोध किया और कहा कि यह एक अलग मामला है और इसे आपराधिक अपीलों के साथ संलग्न नहीं किया जाना चाहिए। राज्य सरकार के वकील ने याचिका में नोटिस जारी किए जाने का भी विरोध किया।  

पीठ ने कहा कि संभव है कि रजिस्ट्री ने कार्यालय रिपोर्ट में गलत उल्लेख किया हो। हमने याचिका का विस्तार से अवलोकन नहीं किया है। ऐसे में अच्छा होगा कि इस मामले पर 19 नवंबर को सुनवाई की जाए।

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TAGS: Gujarat riot, hearing, supreme court, against pm modi, clean chit
OUTLOOK 19 November, 2018
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