दिल्ली में गुजरात भवन कैंटीन नहीं है कैशलेस
सवाल यह उठता है कि जब मोदी ने नोटबंदी की थी तभी से वह नकद में लेन-देन को कम करने की बात कर रहे हैं। ऐसे में उनके राज्य के भवन को सबसे पहले यह व्यवस्था लागू करने की कवायद करनी चाहिए थी। लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद भी कार्ड या ई वॉलेट से पैसा देने की कोई व्यवस्था नहीं है। दिल्ली में सभी राज्यों के भवन हैं और लगभग सभी राज्य कैंटीन चलाते हैं। ये कैंटीन खाने के अच्छे ठिकानों के बारे में जाने जाते हैं। गुजराती खाना खाने के लिए हर दिन भोजन प्रेमी और खाने के शौकीन यहां जुटते हैं। गुजरात के बड़े अधिकारी भी यहां आकर ठहरते हैं, आश्चर्य है कि उन्होंने भी इस बारे में कुछ नहीं सोचा। हर दिन इतने लोग यहां आते हैं लेकिन अभी तक यह सोचा ही नहीं गया कि नकद लेन-देन को कैसे कार्ड के लेनदेन में बदला जाए।
संभव है इसके जवाब में कोई अधिकारी यह कहे कि यह कैंटीन कॉन्ट्रेक्ट पर चलता है, लेकिन जब देश मोदी के साथ खड़ा है तो फिर उनके राज्य का भवन क्यों इस तरह पिछड़ रहा है। सरकारी अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वे कैशलेस के फायदे बताएं और आम लोगों को इसे इस्तेमाल करना सिखाएं। तो क्या कोई अधिकारी कैंटीन के कॉन्ट्रेक्टर को यह प्रेरणा नहीं दे सकता या मदद नहीं कर सकता कि वहां कैशलेस भुगतान की व्यवस्था की जा सके।