रवांडा और युगांडा के सफल दौरे के बाद स्वदेश लौटे अंसारी
अंसारी ने कहा, अफ्रीका के साथ अपने संबंधों को बढ़ाने के सरकार के प्रयास के तहत हमने दोनों देशों के साथ अपने संबंध मजबूत करने के लिए दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। मैं कहना चाहूंगा कि वहां हमारा बेहद गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया।
युगांडा दौरे के आखिरी दिन अंसारी ने युगांडा की संसद के स्पीकर से मुलाकात की और उनके साथ द्विपक्षीय वार्ता करने के साथ-साथ उन्हें भारतीय संविधान की एक प्रति भी भेंट की।
उपराष्ट्रपति गुरुवार देर रात युगांडा की राजधानी से रवाना हो गए थे। अंसारी ने 22 फरवरी को कम्पाला में शीर्ष नेतृत्व के साथ द्विपक्षीय वार्ताएं की थी। इस शीर्ष नेतृत्व में राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी, उपराष्टपति एडवर्ड किवानुका सिकंदी शामिल थे।
भारत और युगांडा ने उर्जा क्षेत्रा, अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए कर्मियों के प्रशिक्षण और परमाणु उर्जा के शांतिपूर्ण इस्तेमाल में सहयोग बढ़ाने का फैसला किया। संसाधनों के धनी पूवर्ी अफ्रीकी देश ने कारों के आयात को हतोत्साहित करने के लिए भारतीय कंपनियों द्वारा स्थानीय स्तर पर ऑटोमोबिल निर्माण की अपील की।
अंसारी रवांडा के तीन दिवसीय दौरे को पूरा करके 21 फरवरी को कम्पाला पहुंचे। रवांडा दौरे के दौरान उन्होंने राष्ट्रपति पॉल कागामे, सीनेट के अध्यक्ष बर्नार्ड माकुजा के साथ द्विपक्षीय वार्ता की और भारत-रवांडा बिजनेस फोरम में शिरकत की थी।
इस मंच पर भारत और रवांडा ने नवोन्मेष, उड्डयन और वीजा प्रणाली के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए तीन सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए। इन सहमति पत्रों में उस देश में उद्यमिता विकास केंद्र स्थापित करना और मुंबई के लिए सीधी उड़ान शुरू करना शामिल है।
भारत-युगांडा बिजनेस फोरम में अंसारी ने कहा कि युगांडा के साथ कारोबारी रिश्ते द्विपक्षीय संबंध का प्रमुख स्तंभ है और भारत सिर्फ युगांडा में ही नहीं बल्कि पूरे पूवर्ी अफ्रीका में अवसरों का लाभ लेने का मजबूत संदेश औद्योगिक समुदायों को देने के लिए उस देश के साथ अपने संबंध बढ़ाने वाला है।
गौरतलब है कि वर्ष 1997 के बाद भारत की ओर से युगांडा की यह पहली उच्च स्तरीय द्विपक्षीय यात्रा थी। रवांडा के लिए यह पहली उच्च स्तरीय यात्रा थी।
उपराष्ट्रपति के साथ इस दौरे पर उनकी पत्नी सलमा, केंद्रीय समाज कल्याण एवं सशक्तिकरण राज्य मंत्री विजय साम्पला, चार सांसद- कनिमोई, रणविजय सिंह जूदेव, रानी नारा और पी के बीजू तथा वरिष्ठ अधिकारी भी थे। भाषा