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29 December 2016

जयललिता का शव समाधि से निकालने का आदेश दे सकते हैं न्यायाधीश

गूगल

उन्होंने उस याचिका की सुनवाई के दौरान यह संकेत दिया जिसमें उनके निधन से पहले गोपनीयता की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग की गई थी।

दो सदस्यीय अवकाश पीठ का नेतृत्व कर रहे न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने कहा कि जनता को पता होना चाहिए कि क्या हुआ।  न्यायाधीश ने केन्द्र सरकार, प्रधानमंत्री कार्यालय और राज्य सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी किये।

न्यायमूर्ति वी प्रतिभान की सदस्यता वाली यह पीठ अन्नाद्रमुक कार्यकर्ता पी ए जोसेफ द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई कर रही थी। याचिका में आयोग से अनुरोध किया गया है कि जयललिता की मौत की परिस्थितियों की जांच के लिए जांच आयोग या तथ्य अन्वेषण समिति बनाई जाए।

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न्यायमूर्ति वैद्यनाथन ने कहा, निधन के बाद सभी को यह प्रश्न करने का अधिकार है। मुझे व्यक्तिगत रूप से सन्देह है।

उन्होंने कहा, एक दिन यह बताया गया कि वह चल रही हैं, अगले दिन आपने कहा कि वह बाहर आएंगी और अचानक क्या हो गया। दिवंगत मुख्यमंत्री एमजीआर के स्वास्थ्य को लेकर भी वीडियो जारी किया गया था।

वरिष्ठ वकील के एम वियजन ने जब पीठ के समक्ष विशेष उल्लेख किया तो महाधिवक्ता मुथुकुमार स्वामी ने कहा कि मृत्यु में कोई रहस्य नहीं है।

न्यायमूर्ति  वैद्यनाथन ने महाधिवक्ता से कहा, आप क्या कहते हैं। जीवन जीने का अधिकार एक मूलभूत अधिकार है। जनता को जानना चाहिए क्या हो रहा है। न्यायाधीश ने कहा, यहां तक कि संबंधियों को भी देखने नहीं दिया गया और वे भी अभी तक अदालत के समक्ष नहीं आए हैं। मुझे व्यक्तिगत तौर पर इस बात में दम लगता है कि यदि मुझे सन्देह है तो मै शव को समाधि से निकालने का आदेश दे सकता हूं और जब वह जीवित थीं तो आपने कुछ भी नहीं बताया।

केन्द्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील जे मदनगोपाल राव से न्यायाधीश वैद्यनाथन ने कहा, आप वहां गए थे। आप कुछ भी नहीं बता रहे हैं। आप सब कुछ जानते हैं। किन्तु पता नहीं किन वजहों से आपने कोई जानकारी नहीं दी। न्यायाधीश जाहिरा तौर पर विभिन्न केन्द्रीय मंत्रिायों के जयललिता का हाल चाल पूछने के लिए अपोलो अस्पताल जाने का जिक्र कर रहे थे।

पीठ ने कहा, हमने अखबारों में यह देखा कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य लाभ कर रही हैं। वह खा रही हैं, दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर रही हैं और बैठकें भी कर रही हैं। और अचानक उनका निधन हो गया।

पीठ ने प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह, कानून एवं संसदीय मंत्रालयों एवं सीबीआई की ओर से केन्द्र सरकार के अधिवक्ता द्वारा नोटिस को स्वीकार किये जाने को दर्ज किया और तथा मामले की सुनवाई को नौ जनवरी के लिए टाल दी।

जनहित याचिका में जयललिता को अचानक अस्पताल में भर्ती कराए जाने, उनका कथित स्वास्थ्य लाभ, उन्हें दिल का दौरा पड़ने और उससे परिणामस्वरूप पांच दिसंबर को उनकी मृत्यु सहित प्रश्न उठने वाली घटनाओं की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश वाला एक आयोग गठित करने का आदेश देने का अनुरोध किया गया है।

याचिका में उन घटनाओं को क्रमबद्ध ढंग से दिया गया है जो 22 सितंबर को अपोलो अस्पताल में जयललिता को भर्ती कराने के बाद से हुईं। इसमें दावा किया गया कि उनकी मौत से पहले बरती गयी गोपनीयता से लोगों के मन में गंभीर सन्देह उत्पन्न हुए हैं।

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TAGS: "people's doubts", circumstances, leading to the death, Tamil Nadu, Chief Minister J Jayalalithaa, Madras High Court, judge
OUTLOOK 29 December, 2016
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