कन्हैया मामले में 23 मार्च को सुनवाई
हालांकि न्यायमूर्ति ने जब सुनवाई की अगली तारीख तय की, तो अधिवक्ता आर.पी. लूथरा ने पीठ से कहा कि यह एक जरूरी मामला है और इसकी सुनवाई 21 मार्च को होनी चाहिए। लूथरा अंतरिम याचिका रद्द किए जाने और झूठी गवाही देने के आरोप में कन्हैया के खिलाफ कार्यवाही शुरू किए जाने की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से अदालत में पेश हुए। लूथरा ने कहा, मेरा अनुरोध है कि चूंकि यह एक संवेदनशील और अत्यावश्यक मामला है, इसलिए इस मामले में सुनवाई सोमवार (21 मार्च) को होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की प्रतिष्ठा दांव पर है। पीठ ने इस मौखिक अनुरोध को अस्वीकार करते हुए कहा, पुलिस मौजूद है और वह इस मामले में अपना काम कर रही है। याचिकाकर्ता प्रशांत कुमार उमराव की ओर से पेश हुए लूथरा ने जोर दिया कि मामले की सोमवार को सुनवाई की जाए। उन्होंने कहा कि अंतरिम जमानत पर रिहा होने के बाद कन्हैया ने जो भाषण दिए हैं, उनके कारण नुकसान कई गुना बढ़ रहा है।
यह मामला कल सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी के समक्ष आया था लेकिन उन्होंने इसे किसी और पीठ को सुनवाई के लिए सौंपने के लिए मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया था। लूथरा ने इस चेतावनी पर आपत्ति जताई थी कि याचिकाएं खारिज होने पर याचिकाकर्ताओं को उनका खर्च वहन करना पड़ सकता है। उमराव की याचिका में आरोप लगाया गया है कि कन्हैया ने अंतरिम जमानत मंजूर कराते समय अदालत के समक्ष सोच समझकर और जानबूझकर झूठा हलफनामा दाखिल किया। एक अन्य याचिकाकर्ता विनीत जिंदल ने भी इस आधार पर कन्हैया की जमानत रद्द किए जाने की मांग की कि रिहाई के बाद दिया गया उनका भाषण देश विरोधी था और इस तरह उन्होंने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है।
इससे पहले, उच्च न्यायालय ने कन्हैया के भाषण में कथित रूप से देश विरोधी टिप्पणियां किए जाने के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा था कि देश विरोधी नारे लगाए जाने की घटनाओं से निपटने के लिए कानून व्यवस्था है और याचिकाकर्ता को देश की छवि को लेकर चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। कन्हैया को दो मार्च को छह माह की अंतरिम जमानत दी गई थी।