कब और कहां बनी थी आजाद हिंद सरकार, नेताजी सुभाष ने क्यों छोड़ा था भारत?
सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली 'आजाद हिंद सरकार' की 75वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले में तिंरगा फहराया और स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी और उनकी आजाद हिंद फौज तथा सरकार के योगदान की प्रशंसा की। लेकिन क्यों और कब नेताजी ने भारत छोड़ा और कब आजाद हिंद सरकार का गठन किया गया और कौन था इसमें शामिल, आइए जानते हैं ऐसे कुछ सवालों के जवाब को...
नेताजी ने भारत क्यों और कब छोड़ा
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में कांग्रेस एक प्रमुख संगठित शक्ति थी। एक दल के तौर पर हर साल इसके अध्यक्ष का चुनाव होता था। कोई भी व्यक्ति एक से ज्यादा बार अध्यक्ष के लिए चुनाव लड़ सकता और बन सकता था। सुभाष चंद्र बोस साल 1938 में हुए हरिपुरा अधिवेशन में अध्यक्ष चुने गए। कांग्रेस में उनकी अच्छी-खासी लोकप्रियता थी। एक साल के कार्यकाल के बाद नेताजी ने 1939 के त्रिपुरी अधिवेशन में फिर से चुनाव लड़ा और अपने प्रतिद्वंदी पट्टाभीसीता रमैया को भारी अंतर से हरा दिया। पट्टाभीसीता रमैया की हार को गांधी जी अपनी व्यक्तिगत हार बताया। इसके बाद नेताजी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया और कांग्रेस में फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की। बाद उन्हें तीन साल के लिए कांग्रेस से निकाल दिया गया। इसके बाद नेताजी ने भारत में ही रहकर आंदोलन चलाने की कोशिश की लेकिन फिर जनवरी 1941 वे अचानक अग्रेंजी राज को चकमा देते हुए भारत से निकल गए।
जर्मनी होते हुए जापान और फिर सिंगापुर पहुंचे
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का मानना था कि भारत को अपनी स्वतंत्रता के लिए विश्व युद्ध का फायदा उठाना चाहिए और अग्रेंजो के खिलाफ लड़ रहे देशों की मदद से भारत से ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेखना चाहिए। इसीलिए उन्होंने भारत छोड़ा। भारत छोड़ने के बाद वे जर्मनी पहुंचें और हिटलर से मिलकर भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के लिए मदद मांगी। द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी और जापान एक ही गुट में थे। जर्मनी के बाद नेताजी जापान पहुंचे और कैप्टन मोहन सिंह और राषबिहारी बोस द्वारा गठित आजाद हिंद फौज का पुनर्गठन किया। और आगे जाकर जापान के सहयोग से रंगून में अस्थाई सरकार की सरकार की स्थापना की।
कब किया सरकार का गठन?
साल 1943 में 21 अक्टूबर को आजाद हिंद सरकार का गठन सिंगापुर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने किया था। यह एक अस्थाई सरकार थी जिसे मित्र देशों के खिलाफ लड़ रहे जापान की मदद से गठित किया गया था। भारत में जाने के बाद नेताजी जर्मनी से गए फिर जापान होते हुए सिंगापुर पुहंचे जहां उन्होंने इस आस्थाई सरकार की नीव रखी थी। इस अस्थाई सरकार को जर्मनी, जापान, इटली सहित 11 देशों ने मान्यता दी थी। इतना ही नहीं इस सरकार ने कई देशों में अपने दूतावास भी खोले थे।
सुभाषचन्द्र बोस इस सरकार के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा सेनाध्यक्ष तीनों थे। वित्त विभाग एस.सी चटर्जी को, प्रचार विभाग एस.ए. अय्यर को तथा महिला संगठन लक्ष्मी स्वामीनाथन को सौंपा गया।
1915 में भी गठित हो चुकी थी आजाद हिंद की सरकार
भारत के बाहर यह आजाद हिंद सरकार पहली नहीं थी। इससे पहले अक्तूबर 1915 में अफगानिस्तान में भारत की पहली स्वाधीन सरकार ‘आजाद हिन्द सरकार’ का गठन हुआ था। राजा महेन्द्र प्रताप इसके राष्ट्रपति थे और मोहम्मद बरकतुल्ला प्रधानमंत्री। इस सरकार के बनने के बाद भारत में अंग्रेजी हुकूमत हिल गई थी।