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22 September 2015

विश्वभारती के कुलपति को बर्खास्त करने की अनुशंसा

गूगल

उन्हें वित्तीय और प्रशासनिक गड़बड़ियों का दोषी पाते हुए बर्खास्त करने की अनुशंसा की गई है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि दत्तगुप्ता को हटाने के लिए कल राष्ट्रपति से अनुशंसा की गई क्योंकि जून में उन्हें जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब संतोषजनक नहीं था।

दत्तगुप्ता के खिलाफ आरोप है कि वह विश्वभारती से वेतन और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पेंशन एक साथ ले रहे थे जो कानून का उल्लंघन है। कानून के तहत विश्व भारती से मिलने वाले वेतन से उनका पेंशन कम किए जाने की जरूरत थी। उन पर शराब के निजी बिलों का भुगतान विश्वविद्यालय से कराने के भी आरोप हैं।

इनके अलावा दत्तगुप्ता पर अनियमित नियुक्तियां करने के आरोप भी हैं जिनमें परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ति भी शामिल है। इसके अलावा विश्वभारती अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन कर महत्वपूर्ण पदों को मंजूरी देने के आरोप भी हैं। केंद्रीय विश्वविद्यालयों के बारे में वर्तमान कानून के तहत कुलपति को बर्खास्त करने का प्रावधान नहीं है लेकिन राष्टपति प्रणब मुखर्जी जनरल क्लाउजेज एक्ट 1987 की धारा 16 का उपयोग कर उन्हें हटा सकते हैं। यह कानून नियुक्ति अधिकारी को अधिकार देता है कि केंद्रीय कानून या नियमन के तहत नियुक्त किसी भी व्यक्ति को निलंबित या बर्खास्त किया जा सकता है।

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एचआरडी मंत्रालय द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) सखाराम सिंह यादव की अध्यक्षता वाली समिति ने फरवरी में उन्हें आरोपों का दोषी पाया था। पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य प्रदीप भट्टाचार्य ने जून में राष्ट्रपति से मुलाकात कर उन्हें हटाने की मांग की थी और आरोप लगाए थे कि उनके मातहत विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है। उन्होंने दत्तगुप्ता द्वारा की गई कथित अनियमितताओं के मुद्दे को संसद में भी उठाया था।

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TAGS: विश्व भारती विश्वविद्यालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, शांति निकेतन, सुशांत दत्तगुप्ता, वित्तीय अनियमितता, राष्ट्रपति, संसद, Visva Bharati University, HRD Ministry, Santi Niketan, Sushant Duttgupta, financial irregularities, the President, Parliament
OUTLOOK 22 September, 2015
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